रेप की वारदात के बाद जागी पुलिस, जाली नम्बर प्लेट लगे 18 आटो रिक्शा जब्त

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Dec, 2017 12:22 PM

including fake number plates  after rape incident

चलते आटो रिक्शा में महिला के साथ हुई रेप की वारदात के बाद पुलिस ने आटो रिक्शा पर शिकंजा कस दिया है। रेप की बेशक चलते आटो में पहली वारदात हो लेकिन जेब तराशी और लूटपाट की अनेक वारदातें हो चुकी हैं। आटो रिक्शा में बढ़ती वारदातों से यह सवारी अनसेफ हो गई...

हिसार(राठी):चलते आटो रिक्शा में महिला के साथ हुई रेप की वारदात के बाद पुलिस ने आटो रिक्शा पर शिकंजा कस दिया है। रेप की बेशक चलते आटो में पहली वारदात हो लेकिन जेब तराशी और लूटपाट की अनेक वारदातें हो चुकी हैं। आटो रिक्शा में बढ़ती वारदातों से यह सवारी अनसेफ हो गई है। वहीं ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे आटो रिक्शा को जब्त करना शुरू कर दिया जो बिना कागजों के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ट्रैफिक पुलिस को शहर में दौडऩे वाली आटो रिक्शा का गणित नहीं पता है। पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों के चालान के हर रोज रजिस्टर भर रही है। उसके बाद शहर में हजारों ऐसे आटो रिक्शा दौड़ रहे हैं जिनके चालकों के पास पूरे दस्तावेज तक नहीं है। इसमें अकेले ट्रैफिक पुलिस को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जब सख्ती होती है तो राजनीति बीच में खड़ी हो जाती है। ऐसा एक बार नहीं कई बार हो जाता है। 

नए पैंतरे अपना रहे आटो चालक
उसी का ही परिणाम है आज शहर में असामाजिक तत्व ऑटो चालक बनकर पुलिस को गच्चा देने के लिए नए पैंतरे अपना रहे हैं। एक खुलासा आज उस समय हुआ जब फव्वारा चौक पर ट्रैफिक पुलिस ने एक ऑटो रिक्शा रोका। जब आटो रिक्शा से आरसी की जांच की तो पाया कि आटो रिक्शा का जो असली नंबर है। उस नंबर को बदलकर जाली नंबर प्लेट आटो रिक्शा की पिछली साइड लगा दी। अगली साइड कोई नंबर प्लेट ही नहीं लगाई। यह नम्बर प्लेट भी निर्धारित स्थान की बजाए फुट पैड के नीचे लगाई हुई थी। ए.एस.आई. धर्मबीर सिंह ने इस आटो रिक्शा को जब्त कर दिया। इस दौरान चालक पंकज ने ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेवार ठहराया और कहा कि ऐसे ऑटो की शहर में लाइन लगी हुई है। यह न सही वह दूसरा आटो चला देगा। उसने यह भी बताया कि ऐसे आटो का कोई रूट निर्धारित नहीं होता। 

आटो रिक्शा पर नहीं महिला हैल्पलाइन नंबर, हो चुकी अनेक वारदातें  
प्रशासन बेशक वाहनों पर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों व पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पुलिस कंट्रोल रूम नंबर, फायर ब्रिगेड नंबर के साथ-साथ  महिला हैल्पलाइन नंबर लिखवा रहा हो लेकिन शहर में दौड़ाने वाले हजारों ऑटो रिक्शा पर महिला हैल्पलाइन नम्बर तक नहीं है। करीब एक सप्ताह पहले टाऊन पार्क के पास दोस्त के साथ खड़ी एक युवती के साथ ऑटो चालक ने मारपीट की थी। उसके दोस्त को भी बुरी तरह से पीटा था। यही नहीं ऑटो चालक ने युवती को जबरन ऑटो में बैठाने का प्रयास किया था। 

इस संबंध में पुलिस ने केस दर्ज भी किया था। चालक की गिरफ्तारी की अभी तक सूचना नहीं है। वहीं ऑटो रिक्शा में महिला सवारियों के पर्स चोरी होने की पिछले एक साल में अनेक वारदातें हो चुकी हैं। महिलाओं के पास कुछ औरतें आकर बैठ जाती है जो चोरी की वारदात को अंजाम देती है। हाल ही में सैक्टर 13 की रहने वाली मुकेश देवी के 2 पर्स चोरी हो गए थे। इसी दिन नागोरी गेट के पास 2 महिलाओं के पर्स चोरी हुए थे। यही नहीं कुछ माह पहले एक फौजी के साथ लूटपाट भी वारदात भी हुई थी। आरोप था कि ऑटो में चालक और उसके दो साथी फौजी को सुनसान जगह पर ले गए और चाकू की नोक पर लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया था। इससे पहले  2012 में बी.एस.एफ. जाने वाले जवान को गांव ढंढूर के पास आटो रिक्शा में बैठे व्यक्तियों ने चाकू से हमला किया था। 

2 दिनों में 18 आटो जब्त
ट्रैफिक पुलिस ने 2 दिनों के दौरान बिना कागजों के सड़कों पर दौड़ रहे 18 आटो रिक्शा जब्त कर दिया है। इनमें से 12 आटो रिक्शा को आज जब्त किया गया जबकि 6 आटो रिक्शा बुधवार को जब्त किए गए थे। यही नहीं बुधवार को 134 आटो रिक्शा के नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर चालान किए गए थे। आज यह चालान संख्या 101 रही। 

क्या कहना है ट्रैफिक इंचार्ज का 
ट्रैफिक इंचार्ज प्रह्लाद सिंह का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस लगातार वाहन जांच अभियान चलाए हुए है। नियमों का उल्लंघन करने वाले आटो रिक्शा पर भी शिकंजा कसा गया है। आज भी 101 आटो रिक्शा के चालान किए गए। 12 आटो रिक्शा को जब्त किया। 

अभियान के बावजूद सभी आटो पर नहीं लग पाते स्टीकर 
ट्रैफिक पुलिस कई सालों से आटो रिक्शा पर स्टीकर लगाने का अभियान चलाती है। शुरूआत के कुछ दिनों तक यह अभियान सही चलता है। इन दिनों में उन आटो रिक्शा पर स्टीकर लगाए जाते हैं जिनके कागजात पूरे होते हैं लेकिन यह आंकड़ा 15-20 दिनों में धीमा पड़ जाता है और आगे नहीं बढ़ पाता। इसी का परिणाम है कि आज जो शहर की सड़कों पर ऑटो रिक्शा दौड़ रहे हैं उनमें से हजारों ऑटो रिक्शा पर पुलिस द्वारा निर्धारित स्टीकर नहीं है। पूरे दस्तावेज रखने वाले करीब साढ़े 5 हजार ऑटो रिक्शा को ही स्टीकर लगा हुआ है। 
 

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