नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव से भारत की शिक्षा पर ब्रिटिश काल की छाया होगी दूर: प्रो. कुठियाला

Edited By Isha, Updated: 30 Jul, 2020 05:00 PM

proposal for new education policy will remove the shadow of british

नवीन शिक्षा नीति भारत को समर्थ, सक्षम और समरस राष्ट्र बनाने की दिशा में साहसिक एवं क्रांतिकारी पहल है। भारत का नागरिक अब मानव संसाधन नही माना जाएगा इसलिए केंद्रीय मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालयश् बदलकर वर्षों पहले हुई भूल का सुधार हुआ

चंडीगढ़(धरणी):  नवीन शिक्षा नीति भारत को समर्थ, सक्षम और समरस राष्ट्र बनाने की दिशा में साहसिक एवं क्रांतिकारी पहल है। भारत का नागरिक अब मानव संसाधन नही माना जाएगा इसलिए केंद्रीय मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालयश् बदलकर वर्षों पहले हुई भूल का सुधार हुआ है। हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने बताया कि विद्यालय और उच्च शिक्षा का समन्वय, सामान्य, तकनीकी एवं वौकेशनल शिक्षा का एकीकरण और केवल एक ही नियामक संस्था इस नीति के ऐसे प्रस्ताव है जिनसे भारत की शिक्षा पर ब्रिटिश काल की छाया दूर हो सकती है।

विद्यालय की शिक्षा अब 5 वर्ष की आयु के बजाय 3 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होगी और स्कूल में हर बच्चा 15 वर्ष पढ़ाई करेगा। अध्यापकों को पढ़ाने और सिखाने की कला और विज्ञान का प्रशिक्षण देने पर विशेष बल है। हरेक शिक्षण संस्थान स्वायत रहेगा और अपनी-अपनी प्रशासनिक व्यवस्था रहेगी। भारतीय भाषाओं में शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को भी पुनः व्यवस्थित किया जाएगा और श्एफिलेशनश् की प्रणाली समाप्त की जायेगी। महाविद्यालय या तो विश्वविद्यालय बनेंगे या फिर स्वायत संस्थान जिनको डिग्री देने का सामथ्र्य होगा। एक ओर बड़ा प्रयास नई शिक्षा नीति में सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थान में भेद को कम करने का है। ऐसा प्रावधान भी है कि जी.डी.पी. का 6 प्रतिशत शिक्षा को जाएगा। शिक्षण की तकनीकों को प्रोत्साहन देने के लिए अलग से संस्था बनेगी।

हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने एक वर्ष पूर्व जब शिक्षा नीति का प्रारूप आया था तभी से विमर्श करने प्रारम्भ किये थे और नई शिक्षा नीति को राज्य में अनुपालन के लिए तैयारी की है। अब इस प्रक्रिया को तीव्रता दी जाएगी जिससे हरियाणा का युवा वर्ग नई शिक्षा नीति का जल्दी से जल्दी और अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।

 

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