मिशन UPSC: चार प्रयास में 'प्री' भी नहीं निकला था, घरवालों ने भरा जोश तो क्रैक किया एग्जाम

Edited By Shivam, Updated: 25 Sep, 2021 06:51 PM

pre did not cleared in four attempts family members filled with enthusiasm

बहादुरगढ़ की बेटी शैली राठी ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है। शैली राठी ने अपने पांचवें प्रयास में 308 वीं रैंक हासिल कर सफलता पाई है। दरअसल, शैली अपने पहले 4 प्रयासों में यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थी। जिसके बाद एक वक्त ऐसा...

बहादुरगढ़ (प्रवीण धनखड़): बहादुरगढ़ की बेटी शैली राठी ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है। शैली राठी ने अपने पांचवें प्रयास में 308 वीं रैंक हासिल कर सफलता पाई है। दरअसल, शैली अपने पहले 4 प्रयासों में यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थी। जिसके बाद एक वक्त ऐसा भी आया कि उसने यूपीएससी का रास्ता छोडऩे का मन बना लिया था, लेकिन परिवार की प्रेरणा के बाद उसने पांचवें प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली।

किसान पिता की बेटी शैली दसवीं कक्षा में जिले भर में टॉपर रह चुकी है और बीटेक में गोल्ड मेडलिस्ट है। शैली के पिता एक किसान हैं और अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए ही खरहर गांव से आकर बहादुरगढ़ में रह रहे हैं। वे बहादुरगढ़ से ही अपने गांव खरहर जाकर अपनी खेती संभालते हैं। शैली ने बताया कि एक बार बचपन में उसके चाचा ने कहा था कि मेरी बेटी बड़ी होकर डीसी बनेगी, जिसके बाद से ही उसने संकल्प ले लिया था कि वह 1 दिन यूपीएससी की परीक्षा पास करके परिवार का सपना पूरा करेगी। 

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शैली ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और चाचा के साथ पूरे परिवार को दिया है। शैली का कहना है कि बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं और बेटियों को पढ़ाने के लिए माता पिता को हमेशा बच्चों को मोटिवेट करते रहना चाहिए। शैली सिविल सर्विस में रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं।

शैली के पिता सतीश राठी का कहना है कि वह अपनी बड़ी बेटी को पढ़ाने के लिए गांव से शहर आ कर पहले किराए पर रहे। उसके बाद अपना खुद का मकान बनाया। खेती और किसानी में उनके भाइयों का भी भरपूर सहयोग उन्हें मिला। उन्होंने पढ़ाई में अपनी बेटी को पूरा सहयोग किया और उसे आगे बढऩे के लिए भी प्रेरित किया। आज भी अपनी बेटी की सफलता से बेहद खुश हैं।

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शैली की माता सुंदरी देवी ने दूसरे माता-पितओं से भी अपील की है कि वह अपनी बेटियों को पढ़ाएं। क्योंकि एक बेटे के पढऩे से दो परिवार आगे बढ़ते हैं। समाज और देश आगे बढ़ता है। सुंदरी देवी का कहना है कि उसने अपनी बेटी को कभी निराश नहीं होने दिया और जब भी वह निराश होती थी तो उसके साथ बैठकर बातें करती थी और उसे आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती थी। उन्हें अपनी बेटी पर नाज है।

शैली यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग के साथ अपने दोस्तों की भूमिका की भी सराहना कर रही है। शैली का कहना है कि परीक्षा के संदर्भ में उसके तमाम सवालों के जवाब दोस्तों के जरिए ही हल हो जाते थे। वह करीब 8 से 10 घंटे की पढ़ाई रोज करती थी। उसने युवाओं को कहा है कि अपने पर विश्वास करते हुए फोकस कर सेल्फ स्टडी करनी बेहद जरूरी है। उन्हें असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि असफलता ही सफलता की सीढ़ी बनती है। शैली भी लगातार चार बार असफल होकर पांचवी बार में सफल हुई है।
 

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