Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 16 Jul, 2024 07:16 PM
शहर के एकलौते सिविल अस्पताल में इलाज के लिए तो आए, लेकिन सिवाय धक्के खाने के उन्हें कुछ नहीं मिला। मरीजों की मानें तो डॉक्टर उनकी सुनते नहीं। बीमारी का नाम अभी मुंह से बाहर पूरा निकलता नहीं कि दवा लिखकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।...
गुड़गांव, (ब्यूरो): शहर के एकलौते सिविल अस्पताल में इलाज के लिए तो आए, लेकिन सिवाय धक्के खाने के उन्हें कुछ नहीं मिला। मरीजों की मानें तो डॉक्टर उनकी सुनते नहीं। बीमारी का नाम अभी मुंह से बाहर पूरा निकलता नहीं कि दवा लिखकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। काउंटर पर जाओ तो दवाएं मिलती ही नहीं।
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एक गोली देकर दो गोली बाहर से लिख दी जाती हैं। वहीं, ब्लड टेस्ट के नाम पर भी अब उन्हें प्राइवेट लैब में भेजा जाने लगा है। आज अपना दर्द बयां करते हुए मरीजों ने जब सिविल अस्पताल में बेहतर सुविधाएं दिए जाने का दावा कर रही सरकार से गुहार लगाई तो अस्पताल की प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ जयमाला भी मौके पर पहुंच गई, लेकिन मरीजों की गुहार सुनने के बाद भी वह अपना बचाव करती नजर आई और मरीजों की गुहार को ही झूठा बता दिया। मरीजों का कहना है कि सिविल अस्पताल में मरीजों को इलाज को छोड़कर बाकी सब मिल सकता है। वहीं, अस्पताल पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस नेता पंकज डावर भी न केवल भाजपा सरकार पर जमकर बरसे बल्कि सिविल सर्जन की कार्यशैल पर भी सवाल उठाते नजर आए। कांग्रेसी नेता पंकज डावर ने कहा कि भले ही सिविल अस्पताल में मरीजों को कोई सुविधा न मिल रही हो, लेकिन सिविल सर्जन प्राइवेट अस्पतालों की भरमार लगवाने में लगे हुए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि सिविल सर्जन को प्राइवेट अस्पतालों के उद्घाटन से ही फुर्सत नहीं है।
मरीज लक्ष्मी, राजू कुमार सहित अन्य का कहना है कि उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए सुबह आने के बाद भी समय दे दिया जाता है। मजबूरन उन्हें निजी अस्पतालों की तरफ जाना पड़ रहा है। जब उन्हें निजी अस्पतालों से ही इलाज कराना है तो ऐसे सरकारी अस्पतालों का होने का कोई फायदा नहीं है। लोगों ने कहा कि मामूली से शूगर जैसे टेस्ट भी सिविल अस्पताल में नहीं हो रहे हैं। मरीजों को डॉक्टर प्राइवेट लैब से टेस्ट कराने के लिए कह देते हैं।
वहीं, ओपीडी के बाहर इलाज की गुहार लगा रहे मरीजों को देखकर जब पीएमओ डॉ जयमाला मौके पर पहुंची तो वह अपना बचाव करती नजर आई। पहले तो उन्होंने इन मरीजों को ही झूठा बता दिया और जब मरीजों ने अपने ओपीडी कार्ड पर डॉक्टर की दवाओं की बात कही तो उन्होंने दवाएं उपलब्ध होने का पहले तो दावा कर दिया, लेकिन जब अस्पताल के फार्मासिस्ट द्वारा दवाएं बाहर से लिए जाने की बात कही तो उन्होंने बचाव करते हुए कहा कि कुछ दवाओं के अस्पताल पहुंचने में देरी है।
आपको बता दें कि पूरे विश्व में गुड़गांव की मेडिकल हब के रूप में पहचान बन चुकी है, लेकिन यह मेडिकल हब केवल प्राइवेट अस्पतालों के दम पर ही बना है। गुड़गांव की करीब 40 लाख की आबादी के लिए महज एक ही अस्पताल है जिसमें भी सुविधाएं मरीजों को नहीं मिल रही हैं। कांग्रेसियों का कहना है कि सरकार के पास अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए फंड तो है, लेकिन सरकार की नीयत ही नहीं है। अगर सरकार सरकारी अस्पताल की दशा सुधार देगी तो निजी अस्पतालों की आलीशान दुकान कहां से चलेगी।