Edited By Vivek Rai, Updated: 26 Apr, 2022 02:49 PM
सरकारी सिस्टम की मार तो अक्सर ही लोग झेलते हुए देखें जाते हैं। लेकिन यमुनानगर से जो मामला सामने आया उसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैसे कोई जिंदा लोगों को मृत घोषित कर कर सकता है। हालात तो ये हैं कि अब उन लोगों को अपने जिंदा होने के लिए सबूत...
यमुनानगर(सुरेंद्र): सरकारी सिस्टम की मार तो अक्सर ही लोग झेलते हुए देखें जाते हैं। लेकिन यमुनानगर से जो मामला सामने आया उसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैसे कोई जिंदा लोगों को मृत घोषित कर कर सकता है। हालात तो ये हैं कि अब उन लोगों को अपने जिंदा होने के लिए सबूत देने पड़ रहे हैं जिसके लिए वो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
दरअसल, कोरोना से मौत पर मुआवजा लेने के लिए नॉमिनी बने 9 लोग जिंदा होते हुए भी सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित किया गया है। जिससे किसी की पेंशन रुक गई तो कोई सरकारी योजना के लिए अप्लाई ही नहीं कर पाया । यह वह लोग हैं जिनके परिवार के सदस्यों की कोरोन से मौत हुई है और परिवार के सदस्य की कोरोना से मौत पर मुआवजा लेने के लिए नॉमिनी बने थे। उन्हें सरकार से मुआवजा तो मिल गया लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें मृत दिखाया गया।
इन्हें तब पता चला जब परिवार पहचान पत्र की जरूरत पड़ी या फिर सरकारी योजना का लाभ मिलना बंद हो गया। परिवार पहचान पत्र से उनका नाम कट गया और इसके बाद इन लोगों ने सरकारी विभागों के चक्कर काटने शुरू किए तो मामला अधिकारियों तक पहुंच गया। अब इसकी जांच शुरू हो गई है लेकिन यह गलती किस स्तर पर हुई है अब ये जांच में ही साफ हो पाएगा ।
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