खबर का असर: फर्जी भर्ती घोटाले में बड़ी कार्रवाई, हैफेड डी.एम. व बैंक मैनेजर सस्पेंड

Edited By Manisha rana, Updated: 25 Feb, 2024 08:45 AM

major action in fake recruitment scam hafed dm and bank manager suspended

जिले की विभिन्न कोऑपरेटिव सोसायटी व बैंकों में हुए फर्जी भर्ती घोटालों पर अब सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। इनमें कैथल नई अनाजमंडी स्थित को-ऑपरेटिव मार्केटिंग  सोसायटी में पिछले साल बैक डोर से की गई 14 युवाओं की भर्ती करने के मामले में अब बड़ी...

कैथल (जयपाल रसूलपुर) : जिले की विभिन्न कोऑपरेटिव सोसायटी व बैंकों में हुए फर्जी भर्ती घोटालों पर अब सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। इनमें कैथल नई अनाजमंडी स्थित को-ऑपरेटिव मार्केटिंग  सोसायटी में पिछले साल बैक डोर से की गई 14 युवाओं की भर्ती करने के मामले में अब बड़ी कार्रवाई हुई है। चंडीगढ़ हैफेड मुख्यालय ने पत्र जारी करते हुए कैथल हैफेड के डी.एम. सुरेश वैद्य व सी.एम.सी मैनेजर शिशन पाल को फर्जी भर्ती का दोषी मानते हुए तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही दोनों अधिकारियों की सैलरी में 50 प्रतिशत कटौती करके इन्हें मुख्यालय से अटैच किया गया है। इस भर्ती प्रक्रिया में विभाग के और किन-किन अधिकारी व कर्मचारियों की साथ गांठ रही है। इसको लेकर भी मुख्यालय स्तर पर अलग से विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

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गौरतलब है कि नई अनाज मंडी स्थित को-ऑपरेटिव मार्केटिंग कम प्रोसेसिंग सोसायटी में साल 2023 के दौरान 14 युवाओं को गलत तरीके से अलग- अलग पदों पर भर्ती किया गया था। जिसको लेकर क्योड़क निवासी कौशल्या ने सीएम विंडो से लेकर मुख्यालय स्तर पर इसकी शिकायत की थी। इसके साथ ही स्वयं राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने भी हैफड प्रबंधक निदेशक को उपरोक्त दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने के लिए पत्र लिखा था। इसके बावजूद भी लंबे समय से यह मामला ठंडे बस्ते में था। पंजाब केसरी ने बैक डोर से की गई इस भर्ती घोटाले को प्रमुखता से प्रकाशित किया जिस पर संज्ञान लेते हुए अब हैफड मुख्यालय द्वारा कैथल हैफेड के डी.एम. सुरेश वैद्य व सी.एम.सी मैनेजर शिशन पाल के खिलाफ ठोस कार्रवाई की है।


ऐसे हुआ था भर्ती में गोलमाल 

बता दें कि 22 दिसंबर 2023 को समिति निदेशक मंडल की एक मीटिंग की गई। जिसमें एजेंडा रखा गया कि मार्केटिंग सोसायटी में जिले के विभिन्न स्थानों में फसल खरीद के लिए सहायक लेखाकार,स्टोर कीपर, क्लर्क, विक्रेता, सेवादार व चौकीदार पदों के लिए 14 युवाओं की नियुक्ति करनी है। इस पर सदस्यों के साथ साथ हैफेड डीएम सुरेश वैध, तत्कालीन एआर जितेंद्र कौशिक, सोसायटी मैनेजर शिशन पाल सहित सभी ने हस्ताक्षर करके प्रस्ताव पास किया था। लेकिन निरीक्षक इंचार्ज शमशेर सिंह ने अपने साइन नहीं किए थे। इसके बाद भी उपरोक्त अधिकारियों ने मिली भक्ति कर फर्जी तरीके से इस भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दे दिया और मीटिंग के 6 दिन बाद 28 दिसंबर को सभी कर्मचारियों की जॉइनिंग भी करा दी। हालांकि निरीक्षण शमशेर सिंह ने इसका विरोध भी किया था, जैसे ही यह मामला और लोगों तक पहुंचा तो इसकी शिकायत की गई। इसी बीच यह मामला राज्य मंत्री कमलेश ढांडा के संज्ञान में भी आया और उन्होंने भी हैफेड के प्रबंधक निदेशक चण्डीगढ़ को कैथल हैफेड के डी.एम. सुरेश वैद्य व सी.एम.सी मैनेजर शिशन पाल को सस्पेंड करने के लिए लिखा था। इस भर्ती का खुलासा होने के बाद अधिकारियों ने अपनी साख बचाने के लिए आनन फानन में भर्ती प्रक्रिया की प्रोसीडिंग बुक में बाद में अपनी असहमति जताई और भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की बात कही गई। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। 

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सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस पूरी भर्ती में बड़े स्तर पर मोटे पैसों की लेनदेन हुई है। जिसमें युवाओं को पक्की नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था। हालांकि पैसों की लेनदेन को लेकर अभी तक भी कोई युवा सामने नहीं आया है। लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया में डीएम, एआर व मैनेजर से लेकर कमेटी के सदस्यों तक की भूमिका संदेह के घेरे में है। बता दें कि इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्टार जितेंद्र कौशिक पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद है, जबकि हैफड मुख्यालय ने अब कैथल डी.एम. सुरेश वैद्य व सी.एम.सी मैनेजर शिशन पाल को सस्पेंड किया गया है ।


इन भर्तियों की जांच में भी निकलेंगे घोटाले

बताते चलें कि पिछले तीन सालों में जिले की विभिन्न को-ऑपरेटिव सोसायटी व बैंकों में भी इसी तरह युवाओं की भर्तियों के नाम पर खूब धांधली हुई है। इन भर्तियों में अधिकारियों द्वारा विभागीय नियमों को दरकिनार कर गलत तरीके से विभिन्न पदों पर पैसे लेकर या अपने चहेतों को नौकरी पर रखा गया है। अब तक की अगर बात की जाए तो जिले के 337 कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली के आरोप लग चुके है। इनमे सबसे बड़ी भर्ती साल 2021 में कैथल के सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में हुई है। इसमें 231 कर्मचारियों को सरकार द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगाने के दो दिन पहले ही बैक डेट में जॉइनिंग करवाने के आरोप लगे हैं। ऐसे ही ग्रामीण क्षेत्रों में बनी एक दर्जन से अधिक को-ऑपरेटिव सोसायटी में भी सैंकड़ों युवाओं गलत तरीके से नियुक्ति देकर नौकरी पर रखा है। जबकि नियम के अनुसार कमेटी सदस्य अपने ब्लड रिलेशन में किसी को भर्ती नहीं कर सकते। ऐसे ही ढांड सी.एम.सी में भी 3 युवाओं को गलत तरीके से भर्ती करने के आरोप हैं। इस तरह सहकारिता विभाग में पिछले तीन सालों के दौरान बैक डोर से हुई तमाम भर्तियों की भी अगर उच्च स्तरीय जांच होती तो इनमे भी कई बड़े खुलासे होगें। 


इन भर्तियों पर में भी लगे हैं धांधली के आरोप

खुराना 14
पाई 12
पाडला 10
कुराड़ 06
पूंडरी 02
कौल 04
भूसला 02
मटौर 06
ढांड 03
चीका 06
सेन्ट्रल बैंक 231


वहीं पूरे मामले की जांच मुख्यालय स्तर पर चल रही थी। जांच में डीएम सुरेश वैद्य व मैनेजर शिशनपाल दोषी पाए गए हैं। दोनों को सस्पेंड किया गया है। जांच अभी भी जारी है। जहां भी शिकायत मिली है सभी को लेकर जांच की जा रही है। जो भी दोषी मिलेगा उस पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। 

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