Edited By Manisha rana, Updated: 14 Feb, 2024 04:52 PM
हरियाणा के पानीपत जिले में सात साल की बच्ची को इलाज की सख्त जरूरत है। माही के माता-पिता बीते 7 साल से उसको डॉक्टर के पास लेकर जा रहे हैं, लेकिन इलाज नहीं हो पा रहा है।
पानीपत (सचिन) : हरियाणा के पानीपत जिले में सात साल की बच्ची को इलाज की सख्त जरूरत है। माही के माता-पिता बीते 7 साल से उसको डॉक्टर के पास लेकर जा रहे हैं, लेकिन इलाज नहीं हो पा रहा है।
दरअसल बच्ची को एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज केवल दिल्ली के एम्स अस्पताल में ही हो सकता है, लेकिन बच्ची के परिजनों का कहना है कि जब भी वो अपनी बच्ची को अस्पताल में लेकर जाते हैं तो डॉक्टर उन्हें बेड खाली नहीं है कहकर वापस भेज देते हैं. डॉक्टर ने अपनी ओपीडी स्लिप में लिखित में दिया है कि नो बेड अवेलेबल।
8 महीने में ही हो गया था माही का जन्म
परिजनों का कहना है कि माही के दिल में एवी कैनाल रिपेयर होना है, जिसका इलाज केवल दिल्ली के एम्स अस्पताल में ही संभव है। माही के पिता राकेश ने बताया कि माही का जन्म 8 महीने में ही हो गया था। इसे सांस लेने में समस्या थी, जब डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर को भी माही की इस बीमारी के बारे में कोई समझ नहीं थी। यहां के डॉक्टरों ने माही को दिल्ली एम्स में रेफर कर दिया। एम्स के डॉक्टर ने इस बीमारी का पता लगाया और इलाज की बात कही।
डॉक्टर की तरफ से एक ही जवाब आता है, बेड खाली नहीं है
राकेश ने बताया कि जब माही को दिल्ली एम्स अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए तो वहां उस समय बेड नहीं था, जिसके बाद वह घर वापस आ गए। माही जन्म से लेकर आज तक इस बीमारी से जूझ रही है और ऐसे ही सात साल बीत गए हैं। हॉस्पिटल में अभी तक बेड उपलब्ध नहीं हुआ, जब भी वो माही को लेकर दिल्ली एम्स पहुंचते हैं तो डॉक्टर की तरफ से एक ही जवाब आता है, बेड खाली नहीं है। जब बेड खाली होगा तो फोन कर उन्हें इलाज के लिए बुलाया जाएगा। माही के पिता ने बताया कि एम्स अस्पताल के डॉयरेक्टर से भी इस बारे में बातचीत की गई। उन्होंने एक लेटर भी लिखकर दिया, लेकिन जब लेटर लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर का वहीं जवाब था कि लेटर फेंक कर फाड़ दो, इनकी यहां कोई वैल्यू नहीं है। डॉक्टर कहते हैं कि हर रोज यहां सैकड़ों ऐसे लेटर आते हैं।
सरकार से की ये मांग
माही के परिजनों ने बताया कि 'इस बीमारी की वजह से माही को सर्दी में भी गर्मी लगने लगती है, दिल की धड़कन सामान्य के मुकाबले अधिक तेज दौड़ती है। माही का शारीरिक विकास भी नहीं हो रहा है, किसी भी समय माही को कुछ भी हो सकता है। वहीं केवल 5 प्रतिशत चांस ही सर्जरी की सफलता के है, लेकिन वह अपनी बच्ची का इलाज करवाना चाहते हैं। ताकि उनके मन में सुकून रहे कि उन्होंने अपनी बच्ची का इलाज करवाया था, केवल बेड नहीं होने की वजह से मासूम बच्ची राम भरोसे अपनी जिंदगी काटने के लिए मजबूर है। मीडिया के माध्यम से एक पिता ने सरकार से अपनी बच्ची के इलाज की मदद मांगी है, उसकी बेटी का इलाज करवाया जाए। उन्होंने कहा कि वो पैसे की मदद नहीं चाहते, बस अपनी बच्ची का इलाज करवाना चाहते हैं। ताकि उनके मन में अपनी बच्ची के इलाज को लेकर कोई मलाल न रहे और उनकी बच्ची ठीक हो जाए।
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