महाराष्ट्र घमासान का असर हरियाणा में, सरकार फिर से टाल सकती है डिप्टी स्पीकर का चुनाव

Edited By vinod kumar, Updated: 25 Nov, 2019 09:39 AM

maharashtra s impact in haryana government may postpone deputy speaker election

महाराष्ट्र में भाजपा की सत्ता को लेकर चल रहे घमासान से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंगलवार को होने वाले विधानसभा सत्र दौरान डिप्टी स्पीकर के चुनाव को टालने के मूड में हैं। हरियाणा में भले ही गठबंधन की सरकार सत्ता संभाल चुकी है लेकिन राजनीतिक...

करनाल(शर्मा): महाराष्ट्र में भाजपा की सत्ता को लेकर चल रहे घमासान से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंगलवार को होने वाले विधानसभा सत्र दौरान डिप्टी स्पीकर के चुनाव को टालने के मूड में हैं। हरियाणा में भले ही गठबंधन की सरकार सत्ता संभाल चुकी है लेकिन राजनीतिक हालात अभी भी पूरी तरह से भाजपा के अनुकूल नहीं हैं क्योंकि संगठन की बैठक तथा फील्ड में चल रही हार के कारणों पर मंथन बैठकों में ज्यादातर नेता हार के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा चुनाव के समय निकाली गई जन आशीर्वाद यात्रा को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं।

हरियाणा विधानसभा के पहले सत्र में पंचकूला के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता को विधानसभा का स्पीकर चुना जा चुका है। 4 नवंबर को हुए इस सत्र दौरान सरकार ने डिप्टी स्पीकर का चुनाव लंबित कर दिया था। अब मंगलवार को आयोजित होने जा रहे एक दिवसीय विधानसभा सत्र हेतु जारी कार्यक्रम में डिप्टी स्पीकर के चुनाव को एजैंडा में शामिल तो किया गया है लेकिन सरकार फिर से इसे पेंङ्क्षडग कर सकती है।

कार्यक्रम जारी होते ही निर्दलीयों व भाजपाइयों ने शुरू की लॉबिंग
विधानसभा सचिवालय द्वारा एक दिवसीय सत्र दौरान डिप्टी स्पीकर के चुनाव का कार्यक्रम जारी किए जाने के बाद निर्दलीयों तथा भाजपा विधायकों में लॉबिंग शुरू हो गई है।  अगर किसी तरह की अड़चन नहीं आई और ‘दिल्ली दरबार’ से मंजूरी मिल गई तो गठबंधन सरकार डिप्टी स्पीकर का चयन कर भी सकती है। खबरें तो इस तरह की भी हैं कि पार्टी डिप्टी स्पीकर का फैसला जातिगत व क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से करेगी। सरकार में राजपूत, अति पिछड़ा वर्ग व रोड़ जाति को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।

ऐसे में भाजपा इन तीनों कैटेगरी में से किसी पर दाव लगा सकती है। अति पिछड़ा वर्ग के खाते में अगर डिप्टी स्पीकर का पद जाता है तो फिर नलवा विधायक रणबीर सिंह गंगवा और इंद्री विधायक रामकुमार कश्यप में से किसी की लॉटरी लग सकती है। रोड़ कोटे से असंध विधायक हरविंद्र सिंह कल्याण और पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह गोलन का नाम चर्चाओं में है। 

वहीं वैश्य कोटे से पृथला से निर्दलीय विधायक नयनपाल सिंह रावत की लॉटरी भी लग सकती है। हालांकि स्पीकर के चुनाव तक भाजपा में महिला कोटे से बडख़ल की विधायक सीमा त्रिखा को इस सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन कमलेश ढांडा के मंत्री बनने के बाद यह संभावनाएं धूमिल हो गई हैं।

जोखिम नहीं लेना चाहते सी.एम.
राजनीतिक हालातों को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसी तरह का जोखिम लेने के मूड में नहीं हैं। अल्पमत एवं गठबंधन की सरकार में स्पीकर तथा डिप्टी स्पीकर की भूमिका अहम रही है। हरियाणा में भले ही भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार सत्ता में आ चुकी है लेकिन अभी तक दोनों दलों का कामकाज सामान्य नहीं हुआ है। 

जजपा में जहां मंत्री पद को लेकर सहमति नहीं बन रही वहीं भाजपा में भी हारे हुए मंत्री खुद को हरवाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जन आशीर्वाद यात्रा के मुद्दे पर घेर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी, पूर्व संसदीय कार्यमंत्री समेत कई आला नेता यह साफ कर चुके हैं कि भाजपा को उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने के पीछे बड़ा कारण मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा है। गुरुग्राम में आयोजित बैठक दौरान यह मुद्दा उठने के बाद मुख्यमंत्री भी भाजपा में घिरे हुए हैं। ऐसे में सरकार डिप्टी स्पीकर का चुनाव सरकार फरवरी-मार्च में प्रस्तावित बजट सत्र दौरान ही कराएगी।

भाजपा अल्पमत में है और उसने जजपा के 10 व 7 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है। ऐसे में कैबिनेट की तरह ही अब डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर भी पार्टी पर दबाव है। सूत्रों का कहना है कि अगर डिप्टी स्पीकर का चुनाव टलता है तो ऐसी स्थिति में कुछ विधायकों को पहले बोर्ड-निगमों में एडजस्ट किया जा सकता है। बाद में भाजपा अपनी पसंद के चेहरे को डिप्टी स्पीकर बना सकेगी।

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