Edited By Deepak Paul, Updated: 19 Jan, 2019 09:28 AM
28 जनवरी को हो रहे जींद उपचुनाव पर जहां पूरे प्रदेश के सियासी दलों और राजनीतिक पंडितों की पैनी नजर है, वहीं केंद्र व प्रदेश सरकार के खुफिया तंत्र की पैनी निगाहें भी इस उपचुनाव पर लगी हुई हैं...
जींद (संजय अरोड़ा): 28 जनवरी को हो रहे जींद उपचुनाव पर जहां पूरे प्रदेश के सियासी दलों और राजनीतिक पंडितों की पैनी नजर है, वहीं केंद्र व प्रदेश सरकार के खुफिया तंत्र की पैनी निगाहें भी इस उपचुनाव पर लगी हुई हैं। ये एजैंसियां मतदाताओं के मन की टोह लेने तथा चुनावी आकलन करने में जुटी हुई हैं। चुनावी समर लड़ रहे राजनीतिक दलों की अपनी अलग टीमें भी जींद उपचुनाव को लेकर खासी सक्रिय हैं।
35 गांवों व जींद शहर में बंटी जींद विधानसभा क्षेत्र के 1,69,210 मतदाताओं को 28 जनवरी को चुनावी दंगल में उतरे 21 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ई.वी.एम. का बटन दबाकर करना है। इस उपचुनाव का राजनीतिक महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इसे 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से सीधे जोड़कर देखा जा रहा है। जींद के नतीजे का असर इन चुनावों पर भी पड़ेगा।
यही वजह है कि प्रदेश के राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर इस उपचुनाव पर है। इसके अलावा केंद्र सरकार की एजैंसी आई.बी. तथा प्रदेश सरकार की सी.आई.डी. जैसी एजैंसियां भी जींद उपचुनाव में मतदाताओं का मन टटोलने में लगी हैं। एक-एक गांव और जींद शहर के सभी 31 वार्डों में इन एजैंसियों के लोग चुनावी नतीजे से लेकर मतदाताओं के मूड को भांपकर अपने-अपने चुनावी आकलन की रिपोर्ट मुख्यालय को भेज रहे हैं। नेताओं के दौरों से लेकर उनके भाषणों तक पर इन खुफिया एजैंसियों की नजर है। छोटी से छोटी बात भी मुख्यालय तक पहुंचाई जा रही है।