अंदर की बात: ...फिर यह तो राजनीति है

Edited By Shivam, Updated: 10 Oct, 2019 12:40 PM

inside insider then this is politics

हरियाणा की चॢचत सीट से एक प्रत्याशी के पक्ष में बैठने वाले एक नेताजी कहने लगे कि मैंने भाईचारे में साथ दिया है लेकिन अंदर की बात यह है कि बिना रोए तो मां भी बच्चे को दूध नहीं पिलाती,फिर ये तो राजनीति है।

पानीपत (खर्ब): हरियाणा की चॢचत सीट से एक प्रत्याशी के पक्ष में बैठने वाले एक नेताजी कहने लगे कि मैंने भाईचारे में साथ दिया है लेकिन अंदर की बात यह है कि बिना रोए तो मां भी बच्चे को दूध नहीं पिलाती,फिर ये तो राजनीति है। 

पहले नेताजी किसी पार्टी के बड़े पद पर थे। जातिगत व सामाजिक समीकरण उलटे पड़े तो पार्टी को ही छोड़ दिया और राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन का ऐलान कर दिया। अब समर्थन देने व लेने वाले नेताजी ने सामाजिक भाव में साथ देने का फैसला किया या आॢथक भाव में इसको लेकर हलके में चर्चा है जिनका चुनाव के दिनों में कोई तोड़ नहीं है। 

पैर छूने में दिख रही जीत
चुनाव जीतने के लिए नेता हर प्रकार के तरीके अपनाता है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा तक में मत्था टेकता है। कोई पंडित या ज्योतिषी जो बोले वही करने को तैयार होता है। इसके बाद जनता को खुश करने के लिए हाथ जोडऩे के प्रचलन के बाद पैर छूने का रिवाज भी चला हुआ है। एक हलके के नेताजी को चुनाव लड़ते हुए कई साल हो गए लेकिन जीत से कुछ दूर रह जाते हैं। इस बार नेता जी प्रणाम करने के साथ-साथ पैर छूने में भी पीछे नहीं हट रहे। जहां भी मौका लगा वोटर के पैर छूने शुरू। हलके के लोगों में भी चर्चा है कि अब चुनाव जो जीतना है तो यह सब कर रहे हैं। अंदर की बात यह है कि यदि इस बार नेता जी का जीत का दाव नहीं लगा तो फिर अगली बार टिकट मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। 

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