Edited By Yakeen Kumar, Updated: 07 Dec, 2025 09:18 PM

हरियाणा की सुपरहिट फिल्म जो हरियाणवी सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसे अक्सर हरियाणवी सिनेमा की "शोले" भी कहा जाता है।
हरियाणा डेस्क : हरियाणा की सुपरहिट फिल्म 'चंद्रावल' हरियाणवी सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसे अक्सर हरियाणवी सिनेमा की "शोले" भी कहा जाता है। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक सफलता हासिल की और हरियाणवी सिनेमा के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसे अब तक की सबसे सफल हरियाणवी फिल्म माना जाता है।
चंद्रावल फिल्म मार्च 1984 में रिलीज़ हुई थी। हरियाणवी भाषा की यह तीसरी फ़िल्म थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। बताया जाता है कि इस फिल्म की टिकट के लिए लोग घंटों लाइनों में लगे रहते थे। ये भी बताया जाता है कि उस समय इस फिल्म ने कई बॉलीवुड फिल्मों के पीछे छोड़ दिया था।
ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों में आए थे दर्शक
हरियाणा के अलावा प्रदेश से सटे राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में इसकी धमक देखी गई। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका काफी क्रेज था। यह फिल्म इतनी लोकप्रिय हुई कि लोग इसे देखने के लिए गांवों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों में भरकर सिनेमाघरों तक आते थे। फिल्म के गाने, जैसे "जीजा तू काला मै गोरी घानी" और "गाड़े आली गजबन छोरी", आज भी लोकप्रिय हैं।

फिल्म की कहानी
यह फिल्म एक दुखद प्रेम कहानी पर आधारित है, जो गड़िया लोहार जनजाति के मुखिया जोधा सरदार की पोती चंद्रावल और एक स्थानीय जाट लड़के सूरज के बीच जातीय मतभेदों के कारण उत्पन्न हुई मुश्किलों को दर्शाती है। इसमें दिखाया गया है कि 2 प्रेमी युगल प्रेम तो करते हैं लेकिन दोनों की अलग-अलग जातियां इनके प्यार में बाधा बन जाती हैं।
मुख्य कलाकार

इस फिल्म के मुख्य अभिनेता जगत जाखड़ थे, जिन्होनें सूरज का किरदार निभाया। वहीं अभिनेत्री उषा शर्मा इसमें चंद्रावल नाम की लड़की का किरदार करती नज़र आईं थी। इसके सहायक कलाकरों में नसीब सिंह कुंडू (रूंडा) और दरियाव सिंह मलिक (खूंडा) शामिल थे। इस फिल्म में रूंडा-खूंडा के किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया। दोनों किरदारों की फिल्म में अहम भूमिका रही, जिसने दर्शकों को खूब हंसाया।

फिल्म के निर्देशक और निर्माता
चंद्रावल फिल्म का निर्देशन जयंत प्रभाकर ने किया था। इसके निर्माता उषा शर्मा एवं देवी शंकर प्रभाकर रहे। प्रभाकर फिल्म्स बैनर के तहत यह फिल्म बनी। इस फिल्म में जे. पी. कौशिक ने फिल्म का संगीत दिया, जिसके गाने बहुत लोकप्रिय हुए और आज भी सुने जाते हैं, जैसे "नैन कटोरे काजल डोरे"।
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