टाइगर के मुंह से अपनी जिंदगी खींच लाया अंकित, चार सर्जरी के बाद गुड़गांव में मिला नया जीवन

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 13 Mar, 2024 04:56 PM

gurgaon doctor save life of student injured by tiger in uttrakhand

कहते हैं जाको राखे साइयां मार सके न कोई। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है जहां उत्तराखंड के रामपुर में 17 वर्षीय अंकित पर टाइगर ने अटैक कर दिया। अंकित ने भी बहादुरी से जवाब देते हुए टाइगर का मुकाबला किया और अपने जीवन को उसका निवाला नहीं बनने दिया।

गुड़गांव, (ब्यूरो): कहते हैं जाको राखे साइयां मार सके न कोई। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है जहां उत्तराखंड के रामपुर में 17 वर्षीय अंकित पर टाइगर ने अटैक कर दिया। अंकित ने भी बहादुरी से जवाब देते हुए टाइगर का मुकाबला किया और अपने जीवन को उसका निवाला नहीं बनने दिया। अंकित के हौंसलों के आगे टाइगर पस्त हो गया और वापस जंगल में भाग गया। घायल अंकित को लोगों ने अस्पताल भर्ती कराया जहां उसकी हालत को देखते हुए उसे ऋषिकेश एम्स में रेफर कर दिया गया। यहां से अस्थाई इलाज देने के बाद उसे दिल्ली एम्स भेजा गया, लेकिन परिचित उसे गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में ले आए जहां उसका चार महीने तक इलाज चला और आज अंकित पूरी तरह से स्वस्थ है।

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अंकित की मानें तो वह उत्तराखंड के रामपुर का रहने वाला है और 10वीं कक्षा का छात्र है। 2 नवंबर 2023 को वह अपने स्कूल से पैदल ही घर जा रहा था तो रास्ते में पहले से घात लगाए टाइगर ने उस पर हमला कर दिया। उसे गर्दन से पकड़ लिया और जैसे ही टाइगर ने अंकित के सिर को अपने मुंह में दबाया वैसे ही अंकित ने मौका पाकर टाइगर की जीभ पकड़ ली। करीब 15 मिनट तक चले संघर्ष के बाद टाइगर के हौंसले पस्त हो गए और वह अंकित को लहूलुहान हालत में छोड़कर जंगल में भाग गया। उसके साथ जा रहे व्यक्ति ने उसे बचाने का भी प्रयास नहीं किया, लेकिन अंकित ने मौत के मुंह में जाकर भी कई लोगों की जान बचा ली। 

 

घटना के बाद लोगाें ने इसकी सूचना अंकित के परिजनों को दी जो उसे लेकर हल्द्वानी के एक अस्पताल में गए। जहां उसकी हालत देखते हुए उसे रेफर कर दिया। यहां से उसे ऋषिकेश एम्स ले जाया गया। आरोप है कि यहां डॉक्टरों ने बेहद लापरवाही से उसके सिर पर टांके लगा दिए, लेकिन टाइगर से संघर्ष के दौरान जो पेड़ के पत्ते, डंडियां उसके सिर में गई थी उसे निकाला ही नहीं। ऐसे में उसके शरीर में इंफेक्शन होने लगा। इसकी वीडियो जब अंकित के एक परिचित को गुड़गांव में मिली तो उसने अंकित के परिवार को गुड़गांव बुला लिया और निजी अस्पताल में उसका इलाज कराया।

 

डॉक्टरों की मानें तो जब अंकित को अस्पताल में लाया गया तो उसकी हालत बेहद खराब थी। उसके सिर में पस पड़ने लगी थी। इंफेक्शन लेवल भी हाई हो गया था। चुनाैतियों का सामना करते हुए उन्होंने अंकित की चार सर्जरी की और चार महीने में दिए गए इलाज के बाद आज अंकित सभी के बीच स्वस्थ मौजूद है और सामान्य रूप से अपना जीवन जी रहा है। उन्होंने बताया कि संघर्ष के दौरान अंकित के अंगूठा भी कट गया जिसका कुछ समय बाद ऑपरेशन किया जाएगा। वहीं, सिर पर लगी चोटे अब पूरी तरह से ठीक हो गई हैं। उसके शरी के अलग-अलग हिस्सों से मास लेकर उसके सिर की स्किन बनाई गई है।

 

फिलहाल अंकित स्वस्थ्य होकर अपना जीवन जी रहा है। जिंदगी और मौत की लड़ाई में अंकित ने जिंदगी की जंग जीत ली और सभी के लिए मिसाल बनकर आगे आया है। अंकित के हौंसले ने साफ कर दिया है कि जीता वही है जिसने संघर्ष किया है।

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