स्वतंत्रता सेनानी चौधरी माई राम के पौत्र व लॉ के प्रोफेसर ने बरोदा उपचुनाव में ठोंकी ताल

Edited By Shivam, Updated: 17 Jul, 2020 06:46 PM

grandson of freedom fighter chaudhary mai ram came in baroda bye election

कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा की मृत्यु के बाद खाली हुई सोनीपत जिले की बरोदा सीट पर भले ही उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है , लेकिन क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां धीरे-धीरे तेजी पकड़ रही हैं। इसी बीच बरोदा गांव के डॉ. जोगेंद्र मोर ने उपचुनाव में ताल...

चंडीगढ़ (धरणी): कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा की मृत्यु के बाद खाली हुई सोनीपत जिले की बरोदा सीट पर भले ही उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है , लेकिन क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां धीरे-धीरे तेजी पकड़ रही हैं। इसी बीच बरोदा गांव के डॉ. जोगेंद्र मोर ने उपचुनाव में ताल ठोंकने की घोषणा कर दी है। पिछले दिनों बरोदा में हुई एक सफल पंचायत के माध्यम से गांव का समर्थन हासिल करने वाले डॉ. जोगेंद्र मोर ने आज गोहाना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी दावेदारी की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि वर्षों से अपेक्षित बरोदा गांव को भी हल्के का नेतृत्व करने का मौका मिले। पंचायत की भी यही भावना थी कि अगर मुख्यधारा की किसी राजनीतिक पार्टी ने बरोदा के उम्मीदवार को पार्टी की टिकट नहीं दी तो गांव के सम्मान के लिए मैं पंचायती उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरूँ।

स्वतंत्रता सेनानी चौधरी माई राम के पौत्र व कानून के प्राध्यापक डॉ. जोगेंद्र मोर ने कहा कि वर्तमान दौर की राजनीति से यह सिद्ध हो गया है कि दलों के इर्द-गिर्द घूम रही चुनावी राजनीति विकास और सुशासन की गारंटी नहीं है। राजनीतिक दल चुनावों के नाम पर जनमत का धंधा करते हैं और आम लोगों के भरोसे से खिलवाड़ करते हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि लोग अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारे और पढ़े-लिखे कर्मठ लोग राजनीति में आएं। 

उन्होंने कहा कि बरोदा हलके के जागरूक लोगों ने यह शुरुआत कर दी है और उसी के तहत वे चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। कुछ लोगों को एक अध्यापक का उपचुनाव में होना कुछ खटक रहा होगा पर मेरा सवाल है कि एक आम आदमी चुनाव लडऩे से क्यों घबराता है। बात जीतने की या हारने की नहीं है, बात है प्रजातंत्र में अपनी हिस्सेदारी साबित करने की। लेकिन आज आम आदमी की राजनीति में क्या हिस्सेदारी है ?

उन्होंने कहा कि मैं उपचुनाव में इसलिए हूं ,क्योंकि जब तक हम लोगों को कोई विकल्प नहीं देंगे तब तक यूं ही चलता रहेगा। मैं खुद बरोदा से हूं ,यहां की विरासत से जुड़ा हूं ,इसी मिट्टी में पला हूं और इसी में स्वाह होना है। मेरे दादा फ्रीडम फाइटर थे। देशभक्ति खून में ही है। वकालत पढ़ता हूं तो कानून की जानकारी भी है। लोगों की समस्याओं को कैसे सुलझाना है इसका मुझे भली-भांति पता है।

डॉ. मोर ने कहा कि कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव अपना गढ़ बचाने का और भाजपा के लिए राजनीतिक वर्चस्व का चुनाव है, जबकि मेरे लिए यह ताऊ, ताई, चाचा, चाची, दादा, भाई बहन का चुनाव है। जिन्हें एक बार चुने जाने पर न कांग्रेस के विधायक ने पूछा ना पिछले 6 साल में भाजपा ने कोई तवज्जो दी। मोर ने कहा कि वे सकारात्मक राजनीति की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसका हरियाणा की राजनीति पर दूरगामी असर पड़ेगा। बहरहाल,सबसे पहले ताल ठोककर वे दूसरे उम्मीदवारों के लिए परेशानी का सबब तो बन ही गए हैं।

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