बीपीएस मेडिकल कॉलेज में इलाज के नाम पर गोरखधंधा, स्टिंग आया सामने तो हुआ खुलासा

Edited By Shivam, Updated: 13 Mar, 2020 06:54 PM

gorakhandha in the name of treatment in bps medical college

प्रदेश सरकार बड़े-बड़े मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल इसलिए खोलती है ताकि आमजन को इलाज के लिए ज्यादा पैसे खर्च ना करने पड़ें। लेकिन गोहाना के खानपुर स्थित भगत फूल सिंह महिला मेडिकल कॉलेज में इलाज के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है। जिसके खुलासा एक वीडियो स्टिंग...

गोहाना (सुनील जिंदल): प्रदेश सरकार बड़े-बड़े मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल इसलिए खोलती है ताकि आमजन को इलाज के लिए ज्यादा पैसे खर्च ना करने पड़ें। लेकिन गोहाना के खानपुर स्थित भगत फूल सिंह महिला मेडिकल कॉलेज में इलाज के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है। जिसके खुलासा एक वीडियो स्टिंग के माध्यम से हुआ है। यहां मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर और दलाल की सांठगांठ से मरीजों से भारी रकम वसूली जा रही है। 

आरोपों के मुताबिक, गोहाना के बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज में ऑर्थो स्पेशलिस्ट डॉक्टर गुलिया की मदद से दलाली का गोरखधंधा चल रहा है।

ऐसे होता हैं गोरखधंधे का खेल
कॉलेज में जब मरीज इलाज के लिए पहुंचता है तो डॉक्टर खुद मरीज से रेट तय करते हैं। इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाले सामानों को लाने के लिए मरीज के परिजनों को बाहर से लाने को कहा जाता है। इलाज करने वाला डॉक्टर परिजनों को कम पैसों का लालच देकर वहीं से सामान उपलब्ध कराने की बात करता है। लिहाजा डॉक्टर की बात पर ज्यादातर मरीज यकीन कर लेते हैं और उनके अनुसार मुंह-बोली रकम ऐंठ ली जाती है।

स्टिंग में ये दिखाई दिया-
जब मरीज के इलाज के लिए डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में जाता है। इसी दौरान दलाल भी बाहर से आकर सामान लेकर ऑपरेशन थिएटर में पहुंच जाता है। फिर ऑपरेशन होने तक दलाल ऑपरेशन थिएटर में मौजूद रहता है, ताकि ऑर्थो स्पेश्लिस्ट डॉक्टर और दलाल की सांठगांठ वह मिलीभगत से मरीज के परिजनों को लूटा जा सके।

दरअसल, एक महिला अपने किसी रिश्तेदार के कंधे के जोड़ों का इलाज कराने के लिए ऑर्थो स्पेशलिस्ट डॉक्टर गुलिया के पास पहुंची। वहां पर डॉक्टर साहब से ऑपरेशन के बारे में बातचीत हुई, इस दौरान डॉक्टर साहब और महिला के बीच 8 हजार रूपये प्रति स्क्रू खर्च आने की बात हुई, जिस पर महिला स्क्रू के पैसे देने पर सहमत हो गई।

फिर मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन के लिए भेज दिया गया। महिला को सूचना मिलती है कि 3 स्क्रू लगाए गए हैं। महिला ने समझा कि ऑपरेशन 24 हजार में सफल हो गया है। लेकिन यह अनुमान उस वक्त गलत साबित हो गया, जब एक दलाल ऑपरेशन थिएटर से निकल कर आता है और महिला के परिजन के इलाज का खर्च 70 हजार के करीब बताता है। 

महिला ने जब खर्च पूछा तो जवाब में 15 हजार के हिसाब से 3 स्क्रू का 45 हजार बताया गया। इतना ही नहीं 20 हजार की एक अतिरिक्त मशीन का दाम भी उसमें जोड़ दिया गया। जबकि महिला व डॉक्टर के बीच केवल स्क्रू लगाने की बात हुई थी। महिला ने डॉक्टर की बातचीत के अनुसार 24 हजार का एस्टीमेट लगाया, लेकिन ऑपरेशन के खर्च बाद में दलाल द्वारा 70 हजार बता दिया गया।

जिस पर महिला मरीज ने ऑपरेशन में यूज हुए स्क्रू और सामान का बिल मांगा तो वह भी देने से मना कर दिया गया। अनुमान है कि ऐसा एक मरीज के साथ नहीं बल्कि सैकड़ों मरीजों के साथ होता है, हालांकि कई मरीजों ने इसका खुलासा भी किया है, किसी से 20 हजार तो किसी से 35 तो किसी से अलग-अलग पैसा वसूला जाता है। 

इस मामले में एक बात यह भी सामने आई कि मरीज के इलाज के दौरान क्या-क्या सामान लगा है? इसकी जानकारी ऑपरेशन से पहले परिजनों को नहीं दी जाती और न ही सामान परिजनों द्वारा रिसीव किया जाता है। सामान या तो डॉक्टर साहब स्वयं रिसीव करते हैं या फिर उनका स्टाफ, जबकि सरकारी हॉस्पिटल के अंदर बाहरी सामान रिसीव करने का अधिकार डॉक्टर या उनके स्टाफ के पास नहीं होता। लेकिन दलालों व डॉक्टरों के बीच सांठ-गांठ के चलते यह गोरखधंधा जारी है।

वहीं जब इस मामले की जानकारी बीपीएस महिला विश्वविद्यालय की डायरेक्टर रेनू गर्ग को दी गई तो पूरा प्रशासन हरकत में आ गया। तुरंत प्रभाव से आपातकालीन मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में मीडिया कर्मी मौजूद रहे जिसमें शुरुआती तौर पर ऑर्थो स्पेशलिस्ट डॉक्टर गुलिया को बचाने का प्रयास किया गया। अंत में डायरेक्टर ने यह स्वीकार कर लिया कि पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।  

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