Edited By vinod kumar, Updated: 25 Apr, 2020 04:42 PM
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। यह कहावत भिवानी जिले के गांव पालुवास निवासी मधुमक्खी पालक राजकुमार पर स्टीक बैठती है। राजकुमार पिछले लगभग 22 सालों से मधुमक्खी पालन कर शहद का व्यवसाय कर रहे हैं।
भिवानी(अशाेक): कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। यह कहावत भिवानी जिले के गांव पालुवास निवासी मधुमक्खी पालक राजकुमार पर स्टीक बैठती है। राजकुमार पिछले लगभग 22 सालों से मधुमक्खी पालन कर शहद का व्यवसाय कर रहे हैं।
उन्होंने इसके लिए बाकायदा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लिया है। आज उनका शहद न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश व विदेश में सप्लाई हो रहा है। कोरोना बीमारी के इस दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले शहद को जरूरी सामान मानकर वे प्रशासन से इजाजत लेकर आम जनता तक पहुंचा रहे हैं।
प्रगतिशील किसान राजकुमार का कहना है कि मधुमक्खी पालन से ना केवल किसानों की शहद से आय बढ़ती है, बल्कि इससे जो भी फसल किसान खेत में होते हैं मधुमक्खियां उनमें परागण की प्रक्रिया को तेज करके फसलों का उत्पादन भी बढ़ाती हैं। इस प्रकार फसल उत्पादन बढ़ना पर मधुमक्खियों से शहद का प्राप्त होना डबल फायदे का कार्य साबित होता है।
राजकुमार का कहना है कि वे प्रतिवर्ष 200 से 300 मधुमक्खियों के डब्बे खेतों में रखते हैं, जिससे उन्हें खर्च निकाल प्रतिवर्ष 10 से 15 लाख रुपए की आय होती है। उन्होंने बताया कि जाे युवा इस कार्य को करना चाहते हैं वे बागवानी विभाग के माध्यम से ट्रेनिंग लेकर मधुमक्खी पालन का कार्य शुरू कर सकते हैं। प्रदेश सरकार ट्रेनिंग देने के बाद 10 मधुमक्खी पालने के डब्बे निशुल्क उपलब्ध करवाने का कार्य भी करती है।
राजकुमार दिल्ली में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में भी पिछले 22 साल से स्टॉल लगा रहे हैं। उनके शहद का स्वाद न केवल केंद्र के नेता, आईएएस अधिकारी बल्कि हरियाणा के मुख्यमंत्री स्व. बी.डी.गुप्ता, तत्कालीन मुख्यमंत्री औम प्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा व वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी चख चुके हैं।