प्रदेश का किसान परेशान, बाहर से भी आ रहा धान

Edited By Isha, Updated: 30 Oct, 2019 01:08 PM

farmer of the state upset paddy coming from outside

कुछ दिनों से प्रदेश की मंडियों में धान खरीद को लेकर स्थानीय किसानों व आढ़तियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिसको लेकर प्रदेश की विभिन्न मंडियों से जुड़े किसान अपना विरोध

नारायणगढ़ (सुशील): कुछ दिनों से प्रदेश की मंडियों में धान खरीद को लेकर स्थानीय किसानों व आढ़तियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिसको लेकर प्रदेश की विभिन्न मंडियों से जुड़े किसान अपना विरोध भी जता चुके हैं। कहा तो यह जा रहा है कि खरीद एजैंसियां अपना निर्धारित कोटा खरीद चुकी हैं जबकि वास्तविकता यह है कि अभी 25 से 30 फीसदी तक धान बिकने को बकाया है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार पड़ोसी राज्यों से सस्ती दरों पर खरीद की गई धान भी प्रदेश की मंडियों में आए संकट को बढ़ावा दे रही है।
उधर, मंगलवार को एक फर्म द्वारा लाई गई धान के कुछ ट्रकों के आगमन की सूचना स्थानीय मार्कीट कमेटी को लग गई जिस पर कमेटी ने मार्कीट फीस व जुर्माने के रूप में बड़ी राशि वसूल की है। 

बताते चलें कि प्रदेश में धान की खरीद 1 अक्तूबर से शुरू हुई जो नियमानुसार 15 नवम्बर तक चलनी है। चुनावों तक तो धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिना किसी हील हुज्जत के सुचारू रूप से चलती रही लेकिन चुनाव परिणाम आने के 2 दिन बाद यानि कि 26 अक्तूबर को धान की सरकारी खरीद यह कह कर बंद कर दी गई कि निर्धारित कोटा खरीद कर लिया गया है जोकि सरकार के किसान का दाना-दाना खरीद करने के वायदे के खिलाफ था। खरीद बंद होने का भारी विरोध हुआ व भाकियू के सदस्यों ने धरना भी दिया जिसके बाद गत शनिवार को खरीद पुन: शुरू हुई लेकिन सोमवार को फिर से खरीद बंद कर दी गई जिसके बाद किसानों ने मंडी के गेटों व मार्कीट कार्यालय पर तालाबंदी कर दी थी जिसके बाद किसान की धान को इनरोल तो किया जाने लगा है लेकिन बोली अभी भी नहीं हो रही। 

मंडी में आ रही किसान की धान को आढ़ती सुखाने के बाद भर कर रख रहे हैं लेकिन अभी उसकी बोली नहीं हो रही जिससे किसान व आढ़तियों में संशय के हालात बने हुए हैं। 3-4 ट्रक आए वहीं, मंगलवार को धान से भरे 3-4 ट्रक नारायणगढ़ में आए, जो नाहन रोड पर खड़े थे, जिसकी सूचना मार्कीट कमेटी तक भी पहुंच गई जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन द्वारा एक फर्म से लगभग 69 हजार रुपए मार्कीट फीस व जुर्माने के रूप में वसूल किए गए जिसकी पुष्टि मार्कीट सचिव ऋषि राज ने भी की है।

जांच का विषय
मंडियों में किसान का धान सरकार द्वारा ही तयशुदा समयावधि में न बिकना ङ्क्षचता का विषय तो है ही, इसके साथ ही बाहर से आ रही धान को कौन ला रहा, कितनी मात्रा में ला रहा है यह भी जांच का विषय है। गम्भीर चर्चाएं तो यह भी है कि बाहरी राज्यों से सस्ती दरों पर धान खरीद कर मंडियों में लाया जा रहा है, जहां उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच कर वारे न्यारे किए जा रहे हैं। हालांकि बाहरी किसानों पर भी फसल बेचने की कोई बंदिश नहीं है लेकिन किसान की आड़ में कुछ मुनाफाखोरों द्वारा बहती गंगा में हाथ धोने की मंशा पर रोक लगाने की आवश्यकता जरूर है।

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