Edited By Manisha rana, Updated: 03 Nov, 2023 03:14 PM
खुद को जिंदा साबित करने के लिए पतासी देवी बीते 9 महीनों से उपमंडल कार्यालय से लेकर जिला सचिवालय तक चक्कर काट रही है।
घरौंड़ा (विवेक) : सरकारी विभागों की लापरवाही और अधिकारियों के रवैए के कारण सरकार की योजनाओं का फायदा लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता। गांव कोहंड निवासी पतासी देवी जिनकी उम्र करीब 83 वर्ष है, इनकी सरकारी रिकॉर्ड में मौत हो चुकी है। खुद को जिंदा साबित करने के लिए पतासी देवी बीते 9 महीनों से उपमंडल कार्यालय से लेकर जिला सचिवालय तक चक्कर काट रही है। ये महिला अधिकारियों से कई बार मिल चुकी है, लेकिन कोई इन्हें रिकार्ड में जिंदा मानने को तैयार नहीं है।
पतासी देवी ने बताया कि उनकी उम्र 83 साल हो गई है। पति की मौत हो चुकी है, शरीर में इतनी ताकत नहीं की मजदूरी कर सके। बुढ़ापा पेंशन के सहारे उसका गुजर बसर हो रहा था। पेंशन बंद होने पर शिकायत की तो मालूम हुआ कि सरकारी रिकॉर्ड में उसको मरा हुआ दिखाया गया है। बीते 9 महीने से वह सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है लेकिन अभी तक उसे रिकॉर्ड में जिंदा नहीं किया गया।
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