RTI की गलत सूचना देने पर फंसे शिक्षा अधिकारी, राज्य सूचना आयोग ने कार्रवाई के दिए आदेश

Edited By vinod kumar, Updated: 06 Aug, 2020 02:12 PM

education officer will be taken action on wrong information of rti

जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत आरटीआई की गलत जानकारी देने के मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी फंस गए। राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई का गलत जानकारी देने पर डिप्टी डॉयरेक्टर इन्द्रा बैनीवाल को संबंधित एसपीआईओ इन्द्र सिंह सुपरिडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक...

चंडीगढ़ (धरणी): जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत आरटीआई की गलत जानकारी देने के मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी फंस गए। राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई का गलत जानकारी देने पर डिप्टी डॉयरेक्टर इन्द्रा बैनीवाल को संबंधित एसपीआईओ इन्द्र सिंह सुपरिडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने शिक्षा निदेशालय से 18 जून 2019 को निजी स्कूलों द्वारा फार्म नंबर 6 के साथ ऑडिट बैलेंस सीट जमा कराए जाने संबंधी आदेशों की अनुपालना के बारे में आरटीआई से जानकारी मांगी थी। इस पर निदेशालय की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसके उपरांत पांच अगस्त को निदेशालय में अपील की। फिर भी कोई जवाब नहीं आया।

आरटीआई कार्यकर्ता ने 03 अक्तूबर को राज्य सूचना आयोग के समक्ष गुहार लगाई। 30 दिसंबर को शिक्षा निदेशालय ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष कहा कि निजी स्कूलों की ऑडिट बैलेंस सीट ऑनलाइन उपलब्ध है। बृजपाल सिंह परमार ने निदेशालय द्वारा दी गई इस गलत जानकारी को राज्य सूचना आयोग के समक्ष रखा। जिस पर राज्य सूचना आयोग ने 28 फरवरी को सुनवाई की।

बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि निजी स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। जिस पर सूचना आयोग ने एसपीआईओ कम डिप्टी डॉयरेक्टर से इसका जवाब मांग तो ऑडिट रिपोर्ट ऑनलाइन साबित नहीं कर पाए। इस पर गलत जानकारी देने पर सूचना आयोग ने उसे कड़ी फटकार लगाई।

इसके बाद चेतावनी देते हुए 24 जुलाई तक सही जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता को दिए जाने का अंतिम मौका दिया था। इसी मामले में राज्य सूचना आयोग ने उसी दिन अगली सुनवाई करते हुए डिप्टी डॉयरेक्टर इन्द्रा वैनीवाल को संबंधित एसपीआईओ इन्द्र सिंह सुपरिडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए। 

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता को शिक्षा विभाग पूरी सूचना उपलब्ध नहीं कराता है तो 20 अगस्त तक आयोग के समक्ष दोबारा शिकायत कर सकते हैं, ताकि इसी फाइल को रिओपन कर सुनवाई की जा सके। राज्य सूचना आयोग ने प्रथम अपील अथॉरिटी को भी एडवाइज किया है कि भविष्य में वे आरटीआई के मामले में अपने कर्तव्य का पूरी तरह से निर्वहन करें। आयोग ने अपने जिस्ट्रार को भी आदेश दिया है कि वो दोनों पक्षों से तालमेल कर जल्द से जल्द पूरी जानकारी दिलाने में सहयोग करे।

ऑडिट बैलेंस सीट के बगैर फार्म 6 अधूरा
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995 का सेक्शन 17(5) के तहत हर साल निजी स्कूलों को फार्म नंबर 6 के साथ ऑडिट बैलेंस रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय में जमा कराना अनिवार्य है। लेकिन हरियाणा को कोई भी निजी स्कूल इस आदेश की पालना नहीं कर रहा है, जबकि फार्म 6 के साथ ऑडिट बैलेंस रिपोर्ट निदेशालय में जमा कराए बगैर कोई भी निजी स्कूल मनमर्जी से फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। अगर सरकार इस आदेश को लागू कराती है तो प्रदेशभर के अभिभावकों को फीस संबंधी मामलों में बड़ी राहत मिल सकती है।  

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