उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के गांव के किसानों ने कृषि कानूनों का किया विरोध

Edited By Isha, Updated: 05 Dec, 2020 04:26 PM

dushyant chautala village farmers opposed agricultural laws

देश भर में किसान मोदी सरकार के तीन नए खेती कानूनों का विरोध कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यू.पी. के किसानों ने तो देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर पक्का मोर्चा लगाया हुआ है। देश भर मेंं किसान इन खेती कानूनोंं के विरोध में अपना गुस्सा जता...

डबवाली(संदीप कुमार): देश भर में किसान मोदी सरकार के तीन नए खेती कानूनों का विरोध कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यू.पी. के किसानों ने तो देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर पक्का मोर्चा लगाया हुआ है। देश भर मेंं किसान इन खेती कानूनोंं के विरोध में अपना गुस्सा जता रहे हैं। ऐसे में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के गांव के किसानों ने भी मोदी सरकार के नए तीन खेती कानूनों के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया है। गांव चौटाला के किसानों ने दुष्यंत चौटाला मुर्दाबाद, खट्टïर सरकार मुर्दाबाद, काले कानून वापिस लो जैसे नारे लगाते हुए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को पद से इस्तीफा देने की मांग की। 

किसान दयाराम उलानिया, अरूण लोहमरोड, रामकुमार, आनंद बिश्रोई इत्यादि ने कहा कि मोदी सरकार के तीन नए खेती कानून किसानों के लिए डैथ वारंट हैं। ये कानून पूरी तरहां से किसानों के खिलाफ है। किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है। सरकार अपना खजाना भरने मेंं लगी हुई है। चौधरी देवीलाल एक किसान नेता थे। वे हमेशा किसानों के हितों के बारे में सोचते थे। इन किसानों ने कहा कि अगर दुष्यंत चौटाला को भविष्य में अपनी राजनीति ङ्क्षजदा रखनी है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि दुष्यंत को वोट किसानों ने ही दिए। किसानों के वोट से ही दुष्यंत उप मुख्यमंत्री बने हैं। किसानों ने कहा कि नए खेती कानूनों से अनाज मंडिया बंद हो जाएगी। उद्योगति मनमर्जी के रेट पर फसल खरीदेंगे। चौटाला पैक्स के प्रधान किसान दयाराम उलानिया ने कहा कि ये तीनों कानून किसान को बर्बाद करने वाले हैं। इसलिए वे मरते दम तक किसानों के साथ इस आंदोलन में हमेशा खड़े रहेंगे। दयाराम ने कहा कि चौधरी देवीलाल जमीन से जुड़े हुए और महान किसान नेता थे। अगर चौधरी देवीलाल सामने इस तरहां की परिस्थितियां आती तो वे अपने पद से इस्तीफा देने में एक मिनट न लगाते। क्योंकि चौधरी देवीलाल ने प्रधानमंत्री का पद भी ठुकरा दिया था।

दुष्यंत चौटाला ने भाजपा के खिलाफ वोट मांगे थे। ऐसे में दुष्यंत चौटाला का फर्ज बनता है कि वे भाजपा का साथ छोडक़र किसानों के बीच आए। दयाराम उलानिया ने कहा कि किसान आंदोलन के आगे मोदी सरकार को झुकना ही पड़ेगा। किसान आंनद बिश्रोई ने कहा कि मोदी सरकार ने बिना किसानों के मांग किए इन कानूनों को लागू किया है।  किसानों पर इन तीनों कानूनों को जबरदस्ती से सरकार थोप रही है। पूंजीपति घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार इन कानूनों को लेकर आई है। बिश्रोई ने कहा कि किसानों के एम.एस.पी. और सरकारी अनाज मंडिया बेहद जरूरी है। दुष्यंत चौटाला को भी अपने दादा के पद चिन्हों पर चलते हुए अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। दुष्यंत को अपने दादा की किसानों के साथ चलने वाली नीति पर चलना चाहिए। दुष्यंत को भाजपा की नीति पर नहीं चलना चाहिए। 

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