मंत्रिमंडल गठन के बाद भाजपा-जजपा विधायकों में उभरा असंतोष!

Edited By Isha, Updated: 16 Nov, 2019 11:03 AM

discontent erupted among bjp jjp mlas after cabinet formation

- हरियाणा में लम्बे इंतजार के बाद गठित हुए गठबंधन के मंत्रिमंडल से भाजपा और उसके सहयोगी दल जजपा के विधायक संतुष्ट नहीं बताए जा रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायकों की उपेक्षा चर्चा का विषय बन गई है। भाजपा के ऐसे विधायक

डेस्क( ईश्वर धामु)- हरियाणा में लम्बे इंतजार के बाद गठित हुए गठबंधन के मंत्रिमंडल से भाजपा और उसके सहयोगी दल जजपा के विधायक संतुष्ट नहीं बताए जा रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायकों की उपेक्षा चर्चा का विषय बन गई है। भाजपा के ऐसे विधायक जिनका पहले चरण से ही मंत्री बनना तय माना जा रहा था, उनका नाम फाइनल सूची से गायब मिला। इसको लेकर ऐसे विधायकों के कार्यकत्र्ताओं में भी पार्टी आलाकमान के प्रति रोष है। कहा यह भी जा रहा है कि कई विधायक ऐसे भी रहे जो अपनों के विरोध के कारण मंत्री बनने से वंचित रह गए।

हालांकि ऐसे विधायकों का रोष खुल कर बाहर नहीं आ रहा है पर सुगबुगाहट थम नहीं रही है।  भाजपा के सूत्र कहते हैं कि पार्टी का प्रयास रहेगा कि मंत्री न बन पाने वाले विधायकों को दूसरा कोई राजनीतिक लाभ का पद देकर संतुष्ट किया जाए। इस तरह की सूचना विधायकों तक भी पहुंच चुकी है। इसीलिए किसी भी विधायक ने खुल करा अपना विरोध दर्ज नहीं करवाया है लेकिन सत्ता में सहयोगी जे.जे.पी. की स्थिति इससे हट कर है। इस मुद्दे को लेकर उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सम्भल कर चल रहे हैं। 

राजनीतिक सूझबूझ से दुष्यंत ने पार्टी को बिखराव से बचाया 
जानकार सूत्रों ने बताया है कि जजपा विधायक दल की बैठक में जब बताया गया कि उनकी पार्टी के केवल एक ही विधायक अनूप धानक को मंत्री बनाया जा रहा है तो विधायकों ने अपना रोष जताना शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि प्रारम्भ से मंत्री बनने की लाइन में एक नम्बर पर चल रहे रामकुमार गौतम ने तो खुल कर अपना विरोध जताया क्योंकि जे.जे.पी. कोटे से रामकुमार गौतम का नाम शुरू में ही तय था लेकिन उनका नाम ऐन वक्त पर गायब था जबकि तय शर्तों के अनुसार तो बताया जाता रहा था कि जजपा के 4 विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।

अभी तक गौतम के गुस्से का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपनों से भी बात नहीं कर रहे हैं। जजपा के कोटे से मंत्री पद पाने की चाह रखने वाले विधायकों के अपने तर्क रहे।  ऐसे में दुष्यंत चौटाला के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बिखराव से बचा कर रखने की थी क्योंकि सत्ता में हिस्सेदारी की लालसा ने ही कुलदीप बिश्रोई की हजकां को तोड़ दिया था। इसी आशंका के चलते दुष्यंत चौटाला ने  भाजपा पर दबाव बना कर मुख्यमंत्री और अपने विभागों का ऐलान करवा लिया। उन्होंने अपने विधायकों की गिनती के अनुसार 11 महकमे लिए।


जजपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी अपने विधायकों को संतुष्ट करने के लिए अनाधिकारिक रूप से अपने हर विधायक को एक महकमे का प्रभारी बनाएगी। जिस विधायक को जो महकमा दिया जाएगा, उस महकमे के काम उसी विधायक की अनुशंसा पर होंगे। बताया गया है कि पार्टी में अभी इस सोच पर गम्भीरता से मंथन किया जा रहा है। हरियाणा की राजनीति में ऐसा प्रयोग पहले हो भी चुका है परन्तु उस समय प्रयोग अधिक सफल नहीं हो पाया था। अब देखना होगा कि जे.जे.पी. इस प्रयोग को अपना कर कितना सफल कर पाती है? 

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