दीपेन्द्र हुड्डा व बाजवा ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ दिया प्रिविलेज मोशन, जानिए इसका क्या है मतलब?

Edited By Shivam, Updated: 22 Jul, 2021 07:56 PM

deepender hooda and bajwa gave privilege motion against delhi police

राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा को नई दिल्ली के विजय चौक के लॉन में पुलिस द्वारा मीडिया से बातचीत करने से रोके जाने के मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा व प्रताप सिंह बाजवा ने अब इसे लेकर दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रिविलेज...

नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा को नई दिल्ली के विजय चौक के लॉन में पुलिस द्वारा मीडिया से बातचीत करने से रोके जाने के मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा व प्रताप सिंह बाजवा ने अब इसे लेकर दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रिविलेज मोशन दिया है।

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दरअसल, राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज लगातार तीसरे दिन भी कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की तरफ से देश के किसानों के मुद्दे पर अविलम्ब चर्चा के लिए काम रोको प्रस्ताव दिया, जिसे पुन: राज्य सभा सभापति ने अस्वीकार कर दिया और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इसके बाद सांसद दीपेन्द्र हुड्डा संसद के बाहर आये और मीडिया के सामने अपनी बात कहने लगे, जिस पर पुलिस ने बीच में ही रोक-टोक शुरू कर दी।



इस पर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ये कैसी सरकार है जो किसानों की आवाज न संसद में उठाने दे रही और न ही सड़क पर। उन्होंने कहा कि ये बहुत गंभीर विषय है। हम भारत के संविधान से कायम संसद के सदस्य हैं। उस रूप में हमें भारत देश के हर नागरिक, जिसमें भारत के किसान भी शामिल हैं, उनकी आवाज संसद के अंदर और संसद के बाहर भी उठाने का अधिकार है। लेकिन क्या सरकार पुलिस भेजकर हमसे ये पूछेगी कि हम किसानों की आवाज क्यों उठा रहे हैं? उन्होंने कहा सरकार चाहे जितनी भी पुलिस लगा ले, हम किसानों की आवाज दबने नहीं देंगे, हम इस लड़ाई को लड़ते रहेंगे।

क्या है प्रिविलेज मोशन?


अंग्रेजी के 'प्रिविलेज मोशन' (privilege motion) शब्द का शाब्दिक अर्थ है- विशेषाधिकार प्रस्ताव। यह प्रस्ताव संसद के सदस्य द्वारा तब लाया जाता है जब उसे लगे कि उसे मिले विशेषाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। यह प्रस्ताव सांसदों के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ लाया जा सकता है। इसका उद्देश्य विशेषाधिकारों की उलंघना करने वाले व्यक्ति की निंदा करना होता है। हालांकि इस प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष और सभापति अस्वीकार भी कर सकते हैं या फिर विशेषाधिकार कमेटी को संदर्भित भी कर सकते हैं। यह सभी निर्णय लेने से पहले दोनों के पास ही सदन की राय लेने का अधिकार भी है।

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