Edited By Deepak Paul, Updated: 18 May, 2018 12:20 PM
प्रदेश में मनोहर सरकार ने ही लिखी पंचायत बनाने के फैसले की हर जगह तारीफ हुई लेकिन कुछ लोगों ने इस फैसले से खफा गांव के विकास कार्य में बाधक बनकर शिकायत बाजी शुरू कर दी। इन शिकायतों का खामियाजा गांव आलमपुर की पंचायत को भी भुगतना पड़ा और चुनावी रंजिश...
फरीदाबाद(दवेंद्र कौशिक): प्रदेश में मनोहर सरकार ने ही लिखी पंचायत बनाने के फैसले की हर जगह तारीफ हुई लेकिन कुछ लोगों ने इस फैसले से खफा गांव के विकास कार्य में बाधक बनकर शिकायत बाजी शुरू कर दी। इन शिकायतों का खामियाजा गांव आलमपुर की पंचायत को भी भुगतना पड़ा और चुनावी रंजिश का गांव की सरपंच खालिदा बेगम को शिकार होना पड़ा, जिनके सर्टिफिकेट में गड़बड़ी पाए जाने के चलते जिला उपायुक्त ने सस्पेंड कर दिया, लेकिन अब उसी फैसले को पलटते हुए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने सरपंच को बहाल करते हुए जिला उपायुक्त के फैसले पर रोक लगा दी है।
जिला उपायुक्त ने खालिद बेगम की जन्म तिथि के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी पाए जाने को लेकर उसे सस्पेंड का दिया लेकिन खालिदा ने हिम्मत नहीं हारी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के यहां अपनी दरखास्त लगा दी, जिसपर जिला उपायुक्त के फैसले पर रोक लगाने के साथ साथ सरपंच पद पर बहाल कर दिया। मिडिया के सामने आई सरपंच खालिदा का कहना है कि गांव में 10,000 की आबादी होने के बाद भी पांचवी तक का स्कूल है, जिसे वह अपग्रेड कराना चाहती है। गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या है उसे दूर करना चाहती है लेकिन कुछ लोग चुनावी रंजिश रखे हुए हैं और बार-बार कभी किसी बहाने तो कभी किसी बहाने उसकी शिकायत करते रहते हैं जिसकी वजह से उनका गांव विकास कार्यों में पिछड़ गया है।
इस मामले में गांव के लोगों का भी मानना है कि जब गांव के लोगों ने खालिदा बेगम को अपना सरपंच प्रतिनिधि चुन लिया तो अब सभी को उम्मीद रहती है कि वह गांव के विकास को आगे बढ़ाएंगी लेकिन कुछ लोग चुनावी रंजिश के चलते शिकायत करने से बाज नहीं आते और बार-बार विकास कार्य को रुकवाने की कोशिश करते रहते हैं।