Edited By Isha, Updated: 01 Jun, 2024 06:04 PM
शहर के पुरानी कोर्ट कॉलोनी निवासी सरोज परनामी के निधन पर उनकी चारों बेटियों ने कंधा देकर समाज को नई दिशा देने का काम किया। यह दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो गई।
सिरसा: शहर के पुरानी कोर्ट कॉलोनी निवासी सरोज परनामी के निधन पर उनकी चारों बेटियों ने कंधा देकर समाज को नई दिशा देने का काम किया। यह दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो गई।
मृतक सरोज परनामी की चारों बेटियां न केवल अर्थी को कंधा देते हुए घर से चलीं, बल्कि शमशान घाट पहुंचकर अपनी माता की मुक्ति के लिए हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया। उपस्थित लोगों की भी इस दृश्य देखकर आंखें नम हो गई। स्व. सरोज परनामी की चार बेटियां, जिनमें सपना मदान, डॉ. सीमा पाहवा, नीतू गिरधर व ईशा परनामी हैं और कोई बेटा नहीं है। सरोज परनामी ने अपनी बेटियों को पढ़ा लिखाकर इस काबिल बनाया है कि वह आज बेटों से भी अधिक बेटों का फर्ज निभा सकती हैं। दूसरे देश में होते हुए भी मां के अंतिम संस्कार में पहुंचकर सारे रीति रिवाज बेटियों ने पूरे किए।
स्व. सरोज परनामी की बड़ी बेटी विदेश में रहती है। बड़ी बेटी सपना जो पेशे से डॉक्टर है और स्विटजरलेंड में रहती हैं। अन्य तीन बहनें भी डॉक्टर व इंजीनियर हैं। सपना ने बताया कि वर्तमान समय में बेटियों ने बेटों के बराबर होकर हर उस मुकाम को हासिल किया है, जो कभी सपना लगता था। लोगों को अब अपनी सोच बदलने की जरूरत है और उन्हें अपनी बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार देने चाहिए।