रणदीप सुरजेवाला ने समझाया ​GDP मतलब- बोले- ‘G-गिरती, D-डूबती, P- पिछड़ती’ अर्थव्यवस्था

Edited By Isha, Updated: 03 Sep, 2020 01:29 PM

congress spokesperson randeep surjewala explained gdp

कांग्रेस नेता एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने  कहा कि आज देश में चारों ओर आर्थिक तबाही का घनघोर अंधेरा है। रोजी, रोटी, रोजगार खत्म हो गए हैं तथा धंधे, व्यवसाय व उद्योग ठप्प पड़े हैं।

चंडीगढ़(धरणी)- कांग्रेस नेता एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने  कहा कि आज देश में चारों ओर आर्थिक तबाही का घनघोर अंधेरा है। रोजी, रोटी, रोजगार खत्म हो गए हैं तथा धंधे, व्यवसाय व उद्योग ठप्प पड़े हैं। अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है तथा जीडीपी पाताल में है। देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा 6 साल से ‘एक्ट ऑफ फ्रॉड’ से अर्थव्यवस्था को डुबोने वाली मोदी सरकार अब इसका जिम्मा ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानि भगवान पर मंढ़कर अपना पीछा छुड़वाना चाहती है। सच ही है, जो भगवान को भी धोखा दे रहे हैं, वो इंसान और अर्थव्यवस्था को कहां बख्शेंगे।

सुरजेवाला ने  कहा कि 73 साल में पहली बार जीडीपी का पहली तिमाही में घटकर माईनस 24 प्रतिशत होने का मतलब है कि देशवासियों की औसत आय धड़ाम से गिरेगी। सूरजेवाला ने कहा कि अब GDP का  मतलब  ‘G-गिरती, D-डूबती, P- पिछड़ती’ अर्थव्यवस्था हो गया है। जीडीपी के ध्वस्त होने के असर का साधारण व्यक्ति पर आंकलन करते हुए एक्सपट्स बताते हैं कि 2019-20 में प्रति व्यक्ति सालाना आय 1,35,050 आंकी गई। साल 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में जीडीपी माईनस 24 प्रतिशत गिरी। दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में हाल इससे भी बुरा है। यानि पूरे साल में अगर जीडीपी माईनस 11 प्रतिशत तक भी गिरी, तो आम देशवासी की आय में बढ़ोत्तरी होने की जगह सालाना  14,900 कम हो जाएगी। एक तरफ महंगाई की मार, दूसरी ओर सरकारी टैक्सों की भरमार और तीसरी ओर मंदी की मार - तीनों मिलकर आम आदमी की कमर तोड़ डालेंगे।
 
लोगों का विश्वास सरकार से पूरी तरह उठ चुका है। लघु, छोटे और मध्यम उद्योगों से पूछिए, तो वो बताएंगे कि बैंक न तो कर्ज देते हैं और न ही वित्तमंत्री की बात में कोई वज़न। उधर बैंकों को सरकार की बात पर विश्वास नहीं और सरकार को रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया पर विश्वास नहीं। प्रांतों को केंद्रीय सरकार की बात पर विश्वास नहीं और जनता को सरकार पर विश्वास नहीं। चारों तरफ केवल अविश्वास का माहौल है। मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ का ‘जुमला आर्थिक पैकेज’ भी डूबती अर्थव्यवस्था, आर्थिक तबाही व गिरती जीडीपी को रोकने में फेल साबित हुआ। 

उन्होंने कहा कि आँकड़े कभी झूठ नहीं बोलते ‘झूठ का व्यापार’ और ‘भ्रम का प्रचार’ कर रही पाखंडी मोदी सरकार सच का आईना देखने से इंकार कर रही है। पर सच्चाई क्या है।आर्थिक बर्बादी के चलते 40 करोड़ हिंदुस्तानी गरीबी रेखा से नीचे धकेले जा रहे हैं। भयानक आर्थिक मंदी के बीच 80 लाख लोगों ने EPFO से 30,000 करोड़ मजबूरन निकाले गए है।  अप्रैल से जुलाई, 2020 के बीच 2 करोड़ नौकरीपेशा लोगों की नौकरियां चली गईं। असंगठित क्षेत्र में लॉकडाऊन यानि देशबंदी के दौरान 10 करोड़ से अधिक नौकरियां गईं।  देश की 6.3 करोड़ डैडम् इकाईयों में से केवल एक चौथाई ही 50 प्रतिशत उत्पादन कर पा रहे हैं। अधिकतर धंधे ठप्प हैं या बंद होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि साल 2020-21 की पहली तिमाही की जीडीपी में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में माईनस 50.3 प्रतिशत की गिरावट, ट्रेड-होटल-ट्रांसपोर्ट में माईनस 47 प्रतिशत की गिरावट, मैनुफैक्चरिंग में माईनस 39.3 प्रतिशत की गिरावट व सर्विस सेक्टर में माईनस 26 प्रतिशत की गिरावट का मतलब है कि करोड़ों रोजगार चले गए और भविष्य में भी रिकवरी की उम्मीद नहीं। एसबीआई की 1 सितंबर, 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 के पूरे साल की जीडीपी माईनस 10.9 प्रतिशत होगी। ​

 

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