छात्राओं को अश्लील लिंक भेजने का मामला: कोर्ट ने शिक्षक को दी जमानत, तो लोगों ने उठाए ये सवाल

Edited By Manisha rana, Updated: 23 Mar, 2024 12:51 PM

case of sending obscene links to girl students

छात्राओं के व्हाटसऐप्प ग्रुप में अश्लील संदेश डाले जाने के इस मामले में जहां छात्राओंं के ब्यान गुहला न्यायधीश के समक्ष हुए, वहीं शिक्षक जितेन्द्र को कोर्ट द्वारा जमानत भी दे दी गई है।

गुहला/चीका (कपिल) : चीका कन्या महाविद्यालय का बहु चर्चित मामला अब और भी रोचक हो गया है इसमें सबसे रोचक तथ्य यह है कि जिस गुरुजी पर छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए उनके खिलाफ कॉलेज प्रबंधन कार्रवाई करने में शुन्य साबित हो रहा है, जिसके चलते ऐसा अनुभव किया जा रहा है कि गुरुजी किसी सुपर पावर से कम नही हैं। इस मामले में यदि यह कहा जाए कि इस हमाम में सब एक से तो गलत नहीं होगा, क्योंकि जिसे कार्रवाई करनी हो यदि वहीं सवालों के घेरे में हो तो फिर उम्मीद करें तो आखिर किससे ? यहां यह भी बताना जरूरी है कि इस मामले में आज कॉलेज प्रबंधन में प्रिंसीपल डा.रामनिवास यादव से बात करने के लिए पंजाब केसरी टीम सहित अन्य पत्रकारों ने जब डॉ. यादव को उनका पक्ष जानने के लिए फोन मिलाए तो उनके द्वारा पत्रकारों के फोन उठाए जाने के विपरीत कार्रवाई करते हुए तकरीबन सबके नंबर ब्लॉक कर दिए गए और दर्जनों बार फोन मिलाए जाने पर उनका फोन नंबर केवल व्यस्तता दर्शाता रहा, जबकि दूसरे फोन से फोन मिलाए गए तो उनके फोन पर घंटी गई, लेकिन उन नंबरों को भी उनके द्वारा नहीं उठाया गया। अंतत: वो मोबाइल नंबर भी उनके द्वारा ब्लॉक लिस्ट में शामिल कर दिए गए, जोकि बाद में व्यस्त आता रहा। खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से कोई उत्तर प्राप्त न हो पाया। 

गौरतलब है कि छात्राओं के व्हाटसऐप्प ग्रुप में अश्लील संदेश डाले जाने के इस मामले में जहां छात्राओंं के ब्यान गुहला न्यायधीश के समक्ष हुए, वहीं शिक्षक जितेन्द्र को कोर्ट द्वारा जमानत भी दे दी गई है। प्राप्त जानकारी अनुसार आरोपी शिक्षक के अधिवक्ता ने मैडिक़ल आधार पर जमानत याचिका लगाई थी, वैसे भी जानकार अधिवक्ताओं का कथन है कि 7 साल से कम कारवास के किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जमानत मिल सकती है। वहीं दूसरी तरफ इस मामले को लेकर लोगों में आक्रोश है कि न ही तो छात्राओंं के परिजनों ने, न ही कॉलेज प्रबंधन ने और न ही किसी अन्य समाजसेवी या समाजसेवी संगठन आदि ने छात्राओं की पैरवी की। महज पुलिस और सरकारी वकील के सहारे ही आगामी कार्रवाई आगे बढ़ी और बढ़ रही है।


क्या समाजसेवियों को नहीं दिखाई देता बेटियोंं का दर्द

आरोपी शिक्षक को मिली जमानत के बाद लोगों में इस बात को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं कि क्या स्थानीय समाजसेवियों व समाजसेवी संगठनों में बेटियों के दर्द के प्रति कोई संवेदना नहीं है जिनके लिए माता-पिता, स्थानीय लोग या महज एक भी प्राईवेट अधिवक्ता प्रस्तुत न हो सका।  


कॉलेज के आंतरिक मामले के जानकार सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार आरोपी शिक्षक के संबंध में चेतावनी तक दी जा चुकी हैं, लेट आने का कारण पूछा जा चुका है और इसी वजह से उसकी तनख्वाह निकाले जाने बारे भी पूछा जा चुका है पर ऐसा मुनासिब ही नही कि कार्रवाई हुई हो। वहीं दूसरी तरफ जानकारी मिली है कि कॉलेज के प्रिंसीपल खुद लेट पहुंचने के आदी हैं जिनके बायोमिट्रिक पर भी संदेह है कि उन्होंने अपने कार्यकाल दौरान बायोमीट्रिक पर हाजिरी लगाई हो जिस पर सवाल उठे हुए हैं एवं यह जांच का विषय भी है। अनुबंध आधार पर लगे हुए शिक्षक की लगभग 10 शिकायतों की जांच अभी भी कॉलेज स्तर पर अधूरी है। जबकि सूत्रों का ऐसा भी कहना है कि एक दूसरे का राज न खुलने के डर से ही यह बचाव-बचाव का खेल खेला जा रहा है जिसमें छात्राओं के मानसिक पटल पर और उनके मन पर विपरीत प्रभाव पडऩा लाजमी है।  


मामले में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी : निदेशक

इस मामले में उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक राजीव रत्न से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी और नियमों की उलंघना करने पर किसी को बख्शा नही जाएगा। फिलहाल वे मैडिकल लीव पर हैं और अपने कार्यालय पहुंच आगामी कार्रवाई करेंगे।
 

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