देश की रक्षा के लिए न्यौछावर किए प्राण लेकिन 6 साल बाद भी नहीं बन सका बीएसएफ के शहीद का स्मारक

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 11 Aug, 2022 07:39 PM

bsf martyr s memorial could not be built even after 6 years

जिले के सांपला कस्बे के रहने वाले बीएसएफ जवान राय सिंह पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते हुए जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में शहीद हो गए थे। परिवार को इस वीर सपूत की शहादत पर गर्व है, पर कुछ मायूसी भी है।

रोहतक(दीपक भारद्वाज): जिले के सांपला कस्बे के रहने वाले बीएसएफ जवान राय सिंह पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते हुए जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में शहीद हो गए थे। परिवार को इस वीर सपूत की शहादत पर गर्व है, पर कुछ मायूसी भी है। वे चाहते हैं कि शहीद राय सिंह के नाम से किसी स्कूल कॉलेज का नाम रखा जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह पता चल सके कि देश की सुरक्षा में किस प्रकार से राय सिंह ने शहादत दी थी। हालांकि सरकार की ओर से एक शहीद को मिलने वाली सभी सुविधाएं उन्हें दी जा चुकी है। लेकिन शहादत को 6 साल बीत जाने के बाद भी उनके नाम से बनने वाले एक छोटे से स्मृति स्थल का काम पूरा नहीं हो पाया है। 22 जून 1976 को सांपला में जन्मे राय सिंह अगस्त 1995 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। डियूटी के दौरान वे जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात थे। 19 नवम्बर 2016 को पाकिस्तान के सीज फायर उल्लंघन किया। राय सिंह ने डटकर मुकाबला किया और देश पर कुर्बान हो गए। उनकी अंतिम यात्रा में श्रद्धांजलि देने के लिए हरियाणा सरकार के मंत्री व प्रदेश के बड़े-बड़े नेता थे। लेकिन उसके बाद कोई भी नेता सुध लेने नहीं पहुंचा कि परिवार किस हालात में है। यही नहीं शहादत को 6 साल बीत चुके हैं, लेकिन नगर पालिका आज तक उनका स्मारक पूरा नहीं करवा पाई है।

 

भाई रमेश कुमार जो खुद भी बीएसएफ से रिटायर्ड हैं। उनका कहना है कि भाई ने देश की सुरक्षा में शहादत दी। सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सहायता उन्हें मिल चुकी है। लेकिन राय सिंह के नाम से किसी भी स्कूल कॉलेज का नामकरण नहीं किया गया है। अगर नामकरण हो जाए तो आने वाली पीढ़ियों को भी पता चल सके कि राय सिंह कौन था और उसने कैसे देश की सुरक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने कहा कि सरकार को भी चाहिए कि बॉर्डर पर ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं सैनिकों को देते हुए, ऐसी व्यवस्था की जाए कि जो आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं, उनको रोका जा सके।  बेटे हितेश को भी अपने पिता की शहादत पर गर्व है। वे सरकार द्वारा दी गई सहायता से संतुष्ट हैं। लेकिन उनका कहना है कि 6 साल में उनके पिता की याद में बन रहा स्मारक अभी तक पूरा नहीं हुआ है और ना ही किसी कॉलेज या स्कूल का नाम उनके पिता के नाम पर रखा गया है।

 

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