Edited By Nitish Jamwal, Updated: 27 Mar, 2024 06:32 PM
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार जानबूझकर किसानों को घाटे में धकेल रही है। बार-बार मांग के बावजूद सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू नहीं की गई।
चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार जानबूझकर किसानों को घाटे में धकेल रही है। बार-बार मांग के बावजूद सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू नहीं की गई। इक्का-दुक्का जगह पर जहां सरकारी एजेंसी पहुंची हैं, वहां भी नमी का बहाना बनाकर खरीद करने से इनकार किया जा रहा है। इसके चलते प्राइवेट एजेंसी औने पौने दाम पर खरीद रही हैं। मजबूरी में किसानों को एमएसपी से 900-1000 रुपये कम रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है।
हुड्डा ने कहा कि हफ्तेभर से मंडियों में सरसों की आवक जारी है। बावजूद इसके सरकार ने देरी से खरीद का ऐलान किया। अपने ऐलान के मुताबिक भी सरकार खरीद नहीं कर पा रही है। इतना ही नहीं एक बार फिर किसानों को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल के हवाले कर दिया गया है। पार्टल पर 9.25 लाख किसानों ने 61.45 लाख एकड़ का पंजीकरण करवाया था। लेकिन इसमें से 10.40 लाख एकड़ रकबे का रिकॉर्ड मिसमैच पाया गया। जब तक यह पूरा रिकॉर्ड ठीक नहीं होता, तबतक किसान अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे। यानी सरकार की गलती का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एकबार फिर सरकार से जल्द सरसों की सुचारू खरीद शुरू करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने गेहूं की आवक के लिए भी पहले से ही तमाम तैयारियों को पूरा करने की मांग उठाई है।
हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान सरकार फसलों के मंडी में आते ही फौरन खरीद शुरू कर देती थी। इसके चलते फसलों के मार्किट रेट ऊंचे हो जाते थे। इसलिए प्राइवेट एजेंसियों को भी एमएसपी या उससे ज्यादा रेट पर फसल खरीदनी पड़ती थी। लेकिन बीजेपी सरकार ठीक इसके उलट नीति पर चलती है। शुरूआत में सरकार द्वारा खरीद नहीं की जाती। मार्किट में फसल के रेट गिर जाते हैं। इसका फायदा प्राइवेट एजेंसियां उठाती हैं और औने-पौने दामों पर खरीद करती हैं। जबतक सरकारी खरीद शुरू होती है, तबतक बड़ी तादाद में किसान अपनी फसल बेच चुके होते हैं।