चंडीगढ़ के बर्ड ऐवीएरी निर्माण में बड़ा गोलमाल, 3.38 करोड़ रुपए के इस्तेमाल पर उठे सवाल

Edited By Manisha rana, Updated: 28 Jul, 2021 04:04 PM

big breakup in the construction of bird aviary in chandigarh

माई ट्री फाऊंडेशन के संस्थापक प्रेम गर्ग व पर्यावरणविद राहुल महाजन द्वारा चंडीगढ़ फारेस्ट व वाइल्ड लाइफ विभाग द्वारा की जा रही वित्तीय ...

चंडीगढ़ (चन्द्रशेखर धरणी) : माई ट्री फाऊंडेशन के संस्थापक प्रेम गर्ग व पर्यावरणविद राहुल महाजन द्वारा चंडीगढ़ फारेस्ट व वाइल्ड लाइफ विभाग द्वारा की जा रही वित्तीय गड़बड़ घोटाले को उजागर किया गया। ये मामला सुखना लेक के साथ सटे, सिटी फारेस्ट के अंदर बन रहे बर्ड ऐवयरी का है, जहां किसी भी तरह की संरचना करने को लेकर हाई कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा है। फिर भी एक बर्ड ऐवयरी बनाने को लेकर ना सिर्फ नियमों को ताक पर रखा गया बल्कि वित्तीय आधार पर कईं गड़बडियों को अमलीजामा पहनाया गया। 

सुखना लेक के साथ सटे सिटी फॉरेस्ट में निर्माणाधीन बर्ड ऐवीएरी यानी पक्षीशाला में बड़ा गोलमाल सामने आया है। करीब 3.38 करोड़ रुपए के इस्तेमाल पर सीधे सवाल उठे हैं। ऑडिट डिपार्टमेंट ने भी साफ कहा है कि इस धनराशि के इस्तेमाल को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता है। ऑडिट ने कहा है कि अगर इस मामले में अगर कोई कानूनी पेंच फंसता है तो कोर्ट के सामने वन एवं वन्यजीव विभाग के पास बचाव करने का कोई रास्ता नहीं होगा।  

प्रेम गर्ग ने बताया कि पक्षीशाला के निर्माण पर यह सवाल दरअसल जनरल फाइनांस रूल 2017 के चलते उठे हैं। जनरल फाइनांस रूल यह कहता है कि किसी भी निर्माणकार्य को चालू करने से पहले निर्माण करने वाली एजेंसी के साथ कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट साइन करना जरूरी है। बावजूद इसके चंडीगढ़ के चीफ कन्जर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट कार्यालय ने 10 जनवरी 2020 को फैब्रीकैशन वर्क ऑफ बर्ड ऐवीएरी नाम से ई टेंडर जारी किया। इसके बाद 2 मार्च 2020 को मोहाली के दिशा एसोसिएट्स के नाम करीब 3.38 करोड़ रुपए का वर्क अलॉट कर दिया गया। इस अलॉटमेंट के बाद भी विभाग ने निर्माण करने वाली एजेंसी के साथ कोई एग्रीमेंट साइन नहीं किया।

दिशा एसोसिएट्स पर अफसरों की इनायत
अशोक तिवारी ने बताया कि वन एवं वन्यजीव विभाग ने दिशा एसोसिएट्स पर खूब इनायत बरसाई। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एजेंसी ने 29 फरवरी 2020 को जो परफोर्मेंस गारंटी के तौर पर करीब 16.90 लाख रुपए की राशि जमा करवाई थी, उसकी मियाद 28 फरवरी 2021 को समाप्त हो गई। इसके बाद यह गारंटी दोबारा रिन्यू नहीं की गई और सीधे तौर पर सरकारी खजाने पर संकट खड़ा करती है।

निर्माणकार्य करने की मियाद समाप्त होने के बाद भी रियायत
शर्त के मुताबिक निर्माण करने वाली एजेंसी को 2 सितंबर 2020 तक कार्य मुकम्मल करना था लेकिन यह कार्य अभी भी चल रहा है। खास बात यह है कि वन एवं वन्यजीव विभाग की तरफ से एजेंसी को समय की कोई छूट नहीं दी गई और न ही निर्धारित समयसीमा के भीतर निर्माणकार्य पूरा नहीं करने के एवज में कोई जुर्माना लगाया गया। 

37.348 मीट्रिक टन स्टील का अधिक इस्तेमाल
दिलचस्प बात यह भी है कि निर्माण करने वाली एजेंसी ने पक्षीशाला के निर्माण में करीब 37.348 मीट्रिक टन अतिरिक्त स्टील का दावा किया है जबकि इस निर्माणकार्य में 256.78 मीट्रिक टन स्टील के इस्तेमाल का अनुमान लगाया गया था। इसके चलते अकेले स्टील इस्तेमाल के खाते में करीब 14.54 फीसदी अधिक धनराशि इस्तेमाल की गई और इसकी मंजूरी तक नहीं ली गई।

पक्षीशाला के नींव निर्माण में भी गड़बड़ी
सतह के ऊपर ढांचागत निर्माण के अलावा पक्षीशाला की नींव के निर्माण में भी गड़बड़ी पाई गई है। करीब 39.05 लाख रुपए  का यह कार्य मोहाली की दिशा एसोसिएट्स को ही आवंटित किया गया था। एलआर बुंदेया ने बताया कि इस कार्य के लिए वन एवं वन्यजीव विभाग ने दिशा एसोसिएट्स पर परफोर्मेंस गारंटी जमा करवाने की कोई शर्त नहीं लगाई।

 

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