Edited By vinod kumar, Updated: 28 Jan, 2021 09:36 PM
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली लाल किले में हुए बवाल की हर तरफ निंदा हो रही है। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भी इसकी निंदा की। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले पर हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लाल किले पर देश की आन, बान और शान के...
चंडीगढ़, (धरणी): गणतंत्र दिवस पर दिल्ली लाल किले में हुए बवाल की हर तरफ निंदा हो रही है। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भी इसकी निंदा की। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले पर हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लाल किले पर देश की आन, बान और शान के प्रतीक तिरंगे के अलावा दूसरा कोई झंडा फहराया जाना सही नहीं है, लेकिन आज पूरे देश के सामने यह बात भी उजागर हो गयी है कि यह घिनौना काम भाजपा सरकार के इशारे पर दीप सिद्धू जैसे लोगों ने किया है।
भाजपा द्वारा भेजे गए इन लोगों ने शांतिप्रिय एवं लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन चला रहे किसानों को बदनाम करने के लिए यह घटना अंजाम दी है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है, लेकिन साथ ही कहना चाहूंगा कि इस प्रकार की साजिशों से किसान आंदोलन ना तो खराब होगा और ना ही समाप्त हो सकता है। क्योंकि अन्नदाता सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि अपने पेट, जमीन और अपने बच्चों के भविष्य की लड़ाई लड़ रहा है। दीप सिद्धू जैसे भाजपा द्वारा साजिश के तहत भेजे हुए लोग जो खुद कबूल कर चुका है कि उन्होंने 26 जनवरी को लाल किले वाली घटना को अंजाम दिया है वे किसानों के आंदोलन को खराब नहीं कर पाएंगे क्योंकि साजिशें रचने वाले ऐसे लोग अब पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं।
बलराज कुंडू ने कहा कि लाल किले की घटना में दिल्ली पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि जब आईटीओ से किसानों के ट्रैक्टरों को आगे नहीं जाने दिया गया तो फिर दिल्ली पुलिस ने कुछ लोगों को कैसे लाल किले तक पहुंचने दिया ? जो बातें अब सामने आ रही हैं। उनसे यह बिलकुल साफ हो चुका है कि दिल्ली पुलिस की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध रही है और पुलिस ने ही किसानों को भड़काने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि हमारे किसान मोर्चे के नेता लाल किले वाली घटना को न केवल दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं बल्कि किसानों से माफी भी मांग चुके हैं। कुंडू ने कहा कि भाजपा की आईटी सैल आजकल सोशल मीडिया पर किसानों एवं पूरे किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिशें रच रही हैं, लेकिन मैं अपने किसान भाइयों से अपील करता हूँ कि वे इस भ्रामक प्रचार के प्रभाव में ना आकर किसान आंदोलन को मजबूत करें। मैं सरकार से भी अपील करता हूँ कि इस प्रकार से किसानों को बदनाम करने की कोशिशें करना बंद करके अन्नदाता को उसका हक देकर उसे अपने घर भेजने का काम करें। इस पूरी घटना की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करवाई जाए और जो भी दोषी मिले उसे कड़ी सजा दी जाए। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।