Edited By Saurabh Pal, Updated: 14 Mar, 2024 09:52 PM
हरियाणा के पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पूरी तरह से निष्पक्ष काम करने के कारण हरियाणा में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे। जनता दरबार अम्बाला व हरियाणा की जनता के लिए अलग-अलग दिनों में लगाना व जो भी दर पर पहुंचा...
चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): हरियाणा के पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पूरी तरह से निष्पक्ष काम करने के कारण हरियाणा में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे। जनता दरबार अम्बाला व हरियाणा की जनता के लिए अलग-अलग दिनों में लगाना व जो भी दर पर पहुंचा। जिसकी कोई भी सिफारिश नही है उस फरियादी की सुन मदद करने के रेवेये ने विज को पूरे हरियाणा का लोकप्रिय नेता बनाया। उनके द्वारा जब रेस्ट हाउस में जनता दरबार न लगाएं जाने लगे तो लोग घर पहुंचने लगे। फिर प्रतिदिन यह दरबार घर ही लग गए।हरियाणा के हर कोने से लोगों की लंबी लाईने उनके पास चल कर आने वाले लोगों की हो रही मदद से भीड़ बढ़ती गई।
कोरोना काल में कई बार संक्रमित होने के दौरान वह ऑक्सीजन लगने के बावजूद चंडीगढ़ अपने दफ्तर में पहुंचने रहे हैं। कई बार स्वास्थ्य बिगड़ने के दौरान अस्पताल में उपचाराधीन हुए लेकिन इलाज के दौरान भी संबंधित अधिकारियों की बैठक अस्पताल में ही लिए जाने और आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए उन्हें प्रदेश की जनता ने देखा है। विकट परिस्थितियों में लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं देने- स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं को बेहतर करने- पर्याप्त वेंटीलेटर- ऑक्सीजन- आवश्यक दवाइयों इत्यादि के प्रबंध करने की उनकी प्राथमिकता ने प्रदेश भर में एक अमित छाप छोड़ी ।
प्रदेश की कोई ऐसी सीट नहीं, जहां अनिल विज के मुरीद नहीं
हरियाणा में अनिल विज की तो प्रदेश के 22 जिलों का कोई कस्बा- कोई गांव- कोई मोहल्ला ऐसा नहीं जहां उनके चाहने वालों की बड़ी संख्या ना हो। सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित हो चुके अनिल विज प्रदेश में एक बड़ी आबादी पर पकड़ रखने वाले नेता है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों में हर जगह उनके समर्थक व चाहने वाले हैं।जो विज की कार्यशेली -उनकी सादगी और उनकी डिसीजन लेने की क्षमता के गुणगान हर उपस्थिति में करते नजर आते हैं। उसका मूल कारण है कि प्रदेश में बहुत से मुख्यमंत्री - मंत्री बने लेकिन एक नेता के रूप में अपने को स्थापित केवल अनिल विज ही कर पाए। अनिल विज ऐसे नेता है जिनका किसी जाति या क्षेत्र से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा। प्रदेश के सभी हलकों के लोग उनके दरबार में अपनी समस्याओं को लेकर रोते-रोते आते देखे गए और निस्वार्थ बिना भेदभाव उनकी की गई सुनवाई और कार्यवाही को देख पूरी तरह से संतुष्ट होकर लौटते देखे जाते रहे। इसी कारण वह आज सर्वप्रिय नेता के रूप में नजर आते हैं।