आदेशों के बाद भी बंद नहीं हुए फर्जी स्कूल, असुरक्षित जगह पर शिक्षा लेने के लिए बच्चें मजबूर

Edited By Isha, Updated: 26 Sep, 2019 10:24 AM

6 thousand fake schools not closed after high court orders

सुरक्षा के भय से मुक्त शिक्षा पाना बच्चों का मौलिक अधिकार है। इसके बावजूद प्रदेशभर में नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हजारों निजी स्कूल बेहतर शिक्षा देने का दावा कर रहे हैं। असुरक्षित जगह पर शिक्षा लेने के.....

भिवानी (वजीर): सुरक्षा के भय से मुक्त शिक्षा पाना बच्चों का मौलिक अधिकार है। इसके बावजूद प्रदेशभर में नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हजारों निजी स्कूल बेहतर शिक्षा देने का दावा कर रहे हैं। असुरक्षित जगह पर शिक्षा लेने के लिए बच्चों को मजबूर नहीं किया जा सकता किसी भी स्कूल को मान्यता देने से पहले संबंधित राज्य सरकार के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल की बिल्डिंग सभी प्रकार से सुरक्षित हैं। यह टिप्पणी देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा तमिलनाडु के एक निजी स्कूल में 93 बच्चों की झुलसने से हुई मौत मामले में फैसला देते हुए की थी। 

26 लाख बच्चों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा निदेशालय मौन
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने निजी स्कूलों में करीबन 26 लाख बच्चों की सुरक्षा को लेकर हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय व मौलिक शिक्षा निदेशालय द्वारा कोई संजीदगी नहीं दिखाने के बाद मामले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट व मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दी  थी। बृजपाल ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव सीनियर सैकेंडरी शिक्षा निदेशक व मौलिक शिक्षा निदेशक द्वारा बच्चों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने शिकायत में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चल रहे सी.डब्ल्यू.पी. के आदेशों का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग व हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर हजारों फर्जी स्कूल मानें हैं मगर इसके बावजूद इन पर अब तक केवल कागजों में ही कार्रवाई हुई हैं जबकि धड़ल्ले से ये स्कूल बच्चों की जिंदगी व उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं। 

93 स्कूली बच्चों की झुलसने से हुई मौत के मामले में शीर्ष अदालत का कड़ा संज्ञान
बृजपाल परमार ने बताया कि 13 अप्रैल, 2009 में लार्ड कृष्णा मिडिल स्कूल तमिलनाडु में 93 बच्चों की जलकर मौत हुई थी और बहुत से बच्चे घायल हुए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए आदेश दिए थे कि सुरक्षा के भय से मुक्त शिक्षा पाना बच्चों का मौलिक अधिकार है और असुरक्षित जगह पर शिक्षा लेने के लिए बच्चों को मजबूर नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि किसी भी स्कूल को मान्यता देने से पहले संबंधित राज्य सरकार के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल भवन कोड सुरक्षा नियमों के अंतर्गत बना है या नहीं। 

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