Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 25 Dec, 2025 07:13 PM

कार्यक्रम के दौरान विमोचित इस पुस्तक को लेकर अभूतपूर्व जन-रुचि देखने को मिली।
गुड़गांव ब्यूरो : राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित भव्य कार्यक्रम “सनातन राष्ट्र का शंखनाद” के दौरान वैचारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय विमर्श का एक महत्वपूर्ण क्षण उस समय सामने आया, जब पुस्तक “कैसे बने इस्लामी देश” का सार्वजनिक विमोचन किया गया। कार्यक्रम में कपिल मिश्रा सांस्कृतिक मंत्री, सुधांशु त्रिवेदी राज्यसभा सांसद, आलोक कुमार अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद, गजेंद्र सिंह शेखावत, रक्षा राज्य मंत्री, उदय सहित अनेक केंद्रीय मंत्री, सांसद, संत एवं राष्ट्रीय स्तर के विचारक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान विमोचित इस पुस्तक को लेकर अभूतपूर्व जन-रुचि देखने को मिली। विमोचन के मात्र एक घंटे के भीतर पुस्तक की पहली आवृत्ति की 2,000 प्रतियां पूर्णतः समाप्त हो गईं। इस असाधारण घटनाक्रम को भारत बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा भी संज्ञान में लिया गया है तथा इसे अपनी आधिकारिक रिपोर्ट में सम्मिलित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
“कैसे बने इस्लामी देश” पुस्तक विश्व के 58 मुस्लिम देशों के निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को कालक्रम, दस्तावेज़ी तथ्यों और वैश्विक घटनाओं के संदर्भ में प्रस्तुत करती है। पुस्तक में अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के साथ-साथ भारत में घटित समानांतर परिस्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन भी शामिल है, जिससे पाठकों को व्यापक और संदर्भ-आधारित दृष्टिकोण प्राप्त होता है। इस प्रकार का समग्र और विश्लेषणात्मक अध्ययन अब तक पुस्तकरूप में विरल रहा है। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक डॉ. सुरेश चव्हाणके हैं। उन्होंने वर्षों के शोध और अध्ययन के आधार पर इस विषय को पुस्तकाकार रूप दिया है। पुस्तक का विमोचन विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी एवं जगद्गुरु शांति गिरी महाराज जी के करकमलों द्वारा दोपहर 1 बजे किया गया। विमोचन के पश्चात उपस्थित जनसमूह ने पुस्तक को हाथों-हाथ लिया, जिसके परिणामस्वरूप दोपहर 2 बजे से पूर्व ही पहली आवृत्ति की सभी प्रतियां बिक गईं।
इस अवसर पर यह भी उल्लेख किया गया कि पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार, लेखक डॉ. सुरेश चव्हाणके हैं। उन्होंने वर्षों के शोध और अध्ययन के आधार पर इस विषय को पुस्तकाकार रूप दिया है। कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने विभिन्न देशों के उदाहरणों के माध्यम से इस विषय पर अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया, जिसे उपस्थित प्रतिनिधियों ने गंभीरता से सुना। कार्यक्रम में देशभर से लगभग 1,000 संगठनों के 3,000 से अधिक प्रतिनिधियों की सहभागिता रही। यह पुस्तक “जनसंख्या जिहाद” श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित की गई है तथा प्रिंट संस्करण के साथ-साथ डिजिटल एवं ऑनलाइन फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराई गई है, ताकि अधिकतम पाठकवर्ग तक इसकी पहुँच सुनिश्चित की जा सके। भारत मंडपम में आयोजित यह आयोजन विचार, अध्ययन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है।