भावगंगा: एक भव्य नृत्य-नाट्य प्रस्तुति जो सामाजिक चेतना को करती है जागृत

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 24 Mar, 2025 07:35 PM

bhava ganga a grand dance drama performance that awakens

पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह द्वारा रचित नृत्य-नाट्य प्रस्तुति भावगंगा का दिल्ली में भव्य मंचन हुआ। यह आयोजन  स्टाइन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में संपन्न हुआ।

गुड़गांव (ब्यूरो): भारत की प्रख्यात सांस्कृतिक विभूति पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह द्वारा रचित नृत्य-नाट्य प्रस्तुति भावगंगा का दिल्ली में भव्य मंचन हुआ। यह आयोजन  स्टाइन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में संपन्न हुआ, जिसमें कला प्रेमियों, विद्वानों और सामाजिक विषयों पर रुचि रखने वाले लोगों की भारी उपस्थिति देखी गई।

 

श्री कामाख्या कलापीठ (Centre for Indian Classical Dances) द्वारा प्रस्तुत भावगंगा इतिहास, संस्कृति और समकालीन संदर्भों का एक अद्वितीय संगम है। इस नृत्य-नाट्य ने समाज में समानता और नारी सशक्तिकरण जैसे विषयों को उजागर किया, जो माँ गंगा के सनातन तत्वों से गहराई से जुड़े हुए हैं।

 

कार्यक्रम की मुख्य प्रस्तुतकर्ता डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा, “गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की जीवनरेखा हैं। उन्होंने भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक उत्थान-पतन को देखा है और वे पवित्रता व शक्ति का प्रतीक हैं।”

 

नृत्य-नाट्य में भगीरथ की कठिन तपस्या से माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की कथा, प्रभु श्रीराम और केवट का संवाद, तथा काशी में देवी अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगते महादेव की दिव्य उपस्थिति जैसे दृश्य प्रस्तुत किए गए। इन कथाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति की गहराई और जल संरक्षण, समानता तथा पर्यावरण चेतना जैसे समसामयिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।

 

श्री कामाख्या कलापीठ - Centre for Indian Classical Dances (CICD) के Repertory Group के प्रतिभाशाली कलाकारों ने इस भव्य प्रस्तुति में हिस्सा लिया, जिन्हें डॉ. मानसिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था। उनकी शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित कला प्रेमियों और बुद्धिजीवियों ने इस प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इसे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण एवं प्रचार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

 

भावगंगा के बारे में:

भावगंगा एक अनूठी नृत्य-नाट्य प्रस्तुति है, जो पौराणिक कथाओं, इतिहास और सामाजिक चेतना को एक सूत्र में पिरोती है। इसकी संकल्पना और कोरियोग्राफी स्वयं डॉ. सोनल मानसिंह ने की है। यह प्रस्तुति माँ गंगा के दिव्य उद्गम, पृथ्वी पर अवतरण और भारतीय सभ्यता को आकार देने में उनकी भूमिका को रेखांकित करती है। प्रभावशाली कथानकों एवं प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियों के माध्यम से यह रचना गंगा को मानवता के विकास की साक्षी के रूप में प्रस्तुत करती है।

 

डॉ. सोनल मानसिंह के बारे में:

डॉ. सोनल मानसिंह एक प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना, शिक्षाविद, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने नृत्य के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय जैसे विषयों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया है। उनकी प्रसिद्ध प्रस्तुतियों में देवी दुर्गा, द्रौपदी, पंच-कन्या, संकल्प से सिद्धि, आत्मायन और मुक्ति सम्मिलित हैं।

 

वे Centre for Indian Classical Dances (CICD) की संस्थापक-अध्यक्ष हैं और 2018 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत की गई थीं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें स्वच्छ भारत मिशन के लिए ‘नवरत्न’ के रूप में भी सम्मानित किया गया था।

 

श्री कामाख्या कलापीठ (CICD) के बारे में:

1977 में स्थापित CICD भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत के प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रदर्शन और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है। यह केंद्र उत्कृष्ट कलाकारों को तैयार करने के साथ ही उनमें अनुशासन, समर्पण और सामाजिक चेतना का संचार भी करता है। दिल्ली में हुए इस भव्य आयोजन ने कला प्रेमियों को भारतीय संस्कृति और सामाजिक मुद्दों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया और एक यादगार सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया।

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