Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 15 Dec, 2025 07:36 PM

अखिल भारतीय पंचायत परिषद का राष्ट्रीय सम्मेलन पूर्व केंद्रीय मंत्री और परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध कांत सहाय की अध्यक्षता में गडग (कर्नाटक) में आयोजित किया गया। इसमें देश भर के पंचायती राज प्रतिनिधि और अखिल भारतीय पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े...
गुड़गांव ब्यूरो : अखिल भारतीय पंचायत परिषद का राष्ट्रीय सम्मेलन पूर्व केंद्रीय मंत्री और परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध कांत सहाय की अध्यक्षता में गडग (कर्नाटक) में आयोजित किया गया। इसमें देश भर के पंचायती राज प्रतिनिधि और अखिल भारतीय पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मलेन में 14 प्रस्ताव पास हुए। इनको परिषद का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री को पेश करेगा। सम्मेलन में हरियाणा से प्रदेश अध्यक्ष उमेश शर्मा और उनकी टीम मौजूद रही।
परिषद के राष्ट्रीय सलाहकार बद्रीनाथ ने बताया कि आजादी के 78 वर्षों के बाद हमारा लक्ष्य गांधी जी का 'ग्राम स्वराज'ही है, लेकिन नए अवतार में। आज का ग्राम स्वराज केवल खादी तक सीमित नहीं है, यह 'डिजिटल स्वराज' भी है। हमें ऐसा गांव बनाना है, जो तकनीक में आधुनिक हो, लेकिन आत्मा से भारतीय हो। इस मौके पर सहाय ने कहा कि वैश्वीकरण का दौर अब पुराना हो चुका है, आज दौर है 'स्थानीयकरण' और 'आत्मनिर्भरता' का। वैश्विक बाजार ने हमारे गांवों को केवल एक 'बाजार' बनाकर छोड़ दिया है। हमारे स्थानीय संसाधनों—जल, जंगल और जमीन—पर बाहरी दबाव बढ़ा है। इसका समाधान दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई या मुंबई में नहीं, बल्कि हमारी ग्राम पंचायतों में है।
परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. अशोक चौहान ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि 'स्मार्ट सिटी' बनाने से भारत स्मार्ट नहीं बनेगा, जब तक हम 'स्मार्ट विलेज' नहीं बनाते। स्थानीय संसाधनों पर ग्राम समुदाय का नियंत्रण होना ही चाहिए, अन्यथा ग्रामीण समाज पलायन और बेरोजगारी की आग में झुलस जाएगा। महामंत्री मुख्यालय अनिल शर्मा ने परिषद की रिपोर्ट पेश की। सम्मलेन में परिषद के दिल्ली प्रदेश पंचायत परिषद् के अध्यक्ष ध्यान पाल सिंह जादौन ने पंचायत से चुने हुए प्रतिनिधियों को वेतन, पेंशन और भत्ते देने की मांग पर जोर दिया।
परिषद के 18वें सम्मलेन में प्रस्तुत मांगें इस प्रकार हैं- पंचायतों का आर्थिक ससशक्तिकरण, पंचायती राज व्यवस्था का सशक्तिकरण एवं सुदृढ़ीकरण मिड टर्म सर्वे, न्याय पंचायत का गठन, पंचायतों में डिजिटल क्रांति की दरकार, हर पंचायत में डेडीकेटेड स्टाफ की नियुक्ति, सोशल ऑडिट को मजबूत करना, विलेज मास्टर प्लान, विधायक निधि और सांसद निधि के तर्ज पर सरपंच निधि का हो इंतेजाम, पंचायती राज व्यवस्था में चुने हुए प्रतिनिधियों को वेतन एवं पेंशन, ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट, माइक्रो फाइनेंसिग के माध्यम से पंचायतों विकास के लिए विशेष फंड।