पुलिस बल के साथ छुड़वाया कब्जा

Edited By Deepak Paul, Updated: 19 Mar, 2019 11:43 AM

occupy possession with police force

उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश पर कैंची चौक स्थित गुरुद्वारे की जमीन पर हुए दुकान के कब्जे...

टोहाना (वधवा): उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश पर कैंची चौक स्थित गुरुद्वारे की जमीन पर हुए दुकान के कब्जे को स्थानीय प्रशासन द्वार पुलिस के सहयोग से छुड़वाकर डिग्रीधारक को सौंपा गया। ड्यूटी मैजिस्ट्रेट तहसीलदार के नेतृत्व में प्रशासन कब्जास्थल पर पहुंचा व किसी भी तरह के लड़ाई-झगड़े की शंका को देखते हुए पुलिस प्रशासन का सहयोग लिया गया। ज्ञात रहे कि शिकायतकत्र्ता राकेश कुमार द्वारा वर्ष 2013 में न्यायालय में इस्तगासा दायर की गई थी कि गुरुद्वारा परिसर में उसकी दुकान की जगह है तथा डिग्री दिखाने की भी कोर्ट में जानकारी मिली है, न्यायालय द्वारा पूरी कार्रवाई के बाद 19 मार्च तक जगह खाली करवाकर असली मालिक को दिलवाने के आदेश जारी किए गए थे। इस दौरान पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में कब्जास्थल के फ्रंट पर दीवार को गिराकर मालिक द्वारा दुकान की चारदीवारी का कार्य शुरू कर दिया गया।

यह कहते हैं ड्यूटी मैजिस्ट्रेट
जब इस बारे ड्यूटी मैजिस्ट्रेट प्रकाश चंद ने बताया कि सैनी मोहल्ला निवासी राकेश कुमार ने वर्ष 2016 में न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर इस दुकान की जगह का हक जताने की बात कहीं जिस पर न्यायाधीश द्वारा जांच पड़ताल के बाद डिग्री के मिलान के बाद शिकायतकत्र्ता के हक को सही ठहराया और प्रशासन को उक्त जगह को 19 मार्च तक खाली करवाने का आदेश दिया। उन्होंने बताया कि लगभग 22.31 वर्ग जगह कब्जाधारक गंगाराम से खाली करवाकर डिग्री धारक को देने के लिए यह कार्रवाई की गई और मौके पर ही कब्जा दिलवा दिया गया। बताया गया है कि राकेश कुमार उस उपरांत यह जगह सतीश कुमार को बेच दी थी उसने भी न्यायालय में अपने हक को जाहिर किया था। 14 मार्च को जारी किए गए आदेश के बाद विवादित जगह पर जगह खाली करने का नोटिस चस्पा दिया गया था। 

यह कहते हैं कब्जाधारक समिति सदस्य
जब इस बारे समिति प्रधान इकबाल सिंह व उपप्रधान मुखत्यार सिंह ने बताया कि 1975 से यह जमीन गुरुद्वारे के पास है और 1990 से नगर पालिका में भी गुरुद्वारे के नाम जमीन चल रही है। तभी से यह गुरुद्वारा बना हुआ है। इस मामले बारे उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। पहले भी गुरुद्वारे की जगह को कई लोगों ने अपनी जगह का करार देते हुए न्यायालय में अपील लगाई थी, लेकिन कोई सबूत न होने की वजह से सारे मामले खारिज कर दिए थे। इस दुकान बारे भी उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि यह जगह कब और किससे खरीदी गई थी। गुरूद्वारे की जगह को लेकर वे न्यायालय में जाकर इंसाफ की गुहार लगाने का कार्य करेंगे।
 

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