सूरत हादसे के बाद भी हरियाणा ने नहीं लिया कोई सबक

Edited By kamal, Updated: 27 May, 2019 09:06 AM

haryana has not taken any lessons after surat incident

राजस्थान के सूरत में 24 मई को हुई घटना में कोङ्क्षचग सैंटर के अंदर पढ़ाई करने वाले 24 बेकसूर युवाओं ने अपनी...

भिवानी(पंकेस): राजस्थान के सूरत में 24 मई को हुई घटना में कोङ्क्षचग सैंटर के अंदर पढ़ाई करने वाले 24 बेकसूर युवाओं ने अपनी जान गंवा दी और इस हादसे का दर्द ताऊम्र कई परिवारों के लिए नासूर बनकर रह गया। मगर इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने कोई सबक नहीं लिया। हरियाणा में करीबन 4 हजार फर्जी स्कूल व करीबन 2 हजार अवैध शिक्षा अकादमियां चल रही हैं, जिनके पास जिला दमकल विभाग से न तो कोई एन.ओ.सी. है और न ही सी.एल.यू. का कोई प्रूफ है।

सबसे अहम तो इन्हें चलाने की कोई परमिशन या फिर मान्यता तक नहीं है। अगर ऐसे में इन अवैध संस्थानों में सूरत अकादमी आगजनी जैसा मंजर देखने को मिला तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा।  दरसअल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल व अन्य द्वारा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में गत 9 अक्तूबर 2017 को जनहित याचिका डालकर प्रदेशभर में चल रहे करीबन 4 हजार गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर कार्रवाई की मांग उठाई थी।
 

इसके अलावा संगठन ने करीबन 2 हजार अवैध शिक्षा अकादमियों को बंद करवाए जाने की भी मांग उठाई थी। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी तलब किया हुआ है। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि उनका संगठन बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर प्रदेशभर में काम कर रहा है। गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के अंदर पढ़ाई करने वाले बच्चों की सुरक्षा खतरे में है, इसी मुद्दे को लेकर संगठन ने प्रदेशभर में चल रहे करीबन 4 हजार फर्जी एवं गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को चुनौती दी हुई है।

हाईकोर्ट भी गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर कार्रवाई के कड़े निर्देश सरकार को देते हुए टिप्पणी कर चुका है कि इन स्कूलों में अगर बच्चों के साथ कुछ गलत होता है तो फिर उसकी जवाबदेही किसकी होगी। बृजपाल परमार ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूल और अवैध शिक्षा अकादमियों को बंद कराने की कार्रवाई केवल कागजों में ही चलाई है।

शिक्षा विभाग के अधिकारी जिन शिक्षा अकादमियों को रिकार्ड में पूरी तरह से बंद दर्शा रहे हैं, वे अब भी धड़ल्ले से नियमों को ठेंगा दिखाकर खुलेआम चल रही हैं। इतना ही नहीं गली मोहल्लों व संकरे रिहायशी मकानों व खंडहर हो चुकी बिल्डिंगों के अंदर भी अवैध तरीके से स्कूल चलाए जा रहे हैं। इसकी जानकारी होने के बावजूद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी उन पर कोई कार्रवाई तक नहीं कर रहे हैं। 
उन्होंने बताया कि अकेले भिवानी जिले के अंदर करीबन 140 गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूल व शिक्षा अकादमी चल रही हैं।

जिन पर शिक्षा अधिकारियों ने अब तक कागजी खानापूर्त के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की है। 
उन्होंने बताया कि गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों व शिक्षा अकादमियों पर रहमदिली दिखाने वाले शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी 5 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कोर्ट के आदेशों की अवमानना की शिकायत की जाएगी। अगर इस बीच कोई हादसा हुआ तो फिर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ गैर इरातदन हत्या का केस भी संगठन द्वारा कोर्ट के आदेश पर दर्ज कराया जाएगा।

उन्होंने बताया कि राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के अनुसार इस मामले में संबंधित जिलों के जिला प्रशासनिक अधिकारियों को भी पार्टी बनाया जाएगा, क्योंकि बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा जिला उपायुक्त व संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों का भी बनता है। 

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