Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Dec, 2017 01:29 PM
अपने बिछुड़े बेटे को सामने देख दिल्ली से आई कविता की आंखें डबडबा गई। अपने बेटे को गले लगाकर वह सुबक पड़ी। महिला के मुखारविंद से बार-बार जनसेवा संस्थान के लिए दुआएं ही सुनाई दीं। मामला दरअसल कुछ यह था कि जनसेवा संस्थान रोहतक में करीब 3 महीने पहले एक...
रोहतक(का.प्र.):अपने बिछुड़े बेटे को सामने देख दिल्ली से आई कविता की आंखें डबडबा गई। अपने बेटे को गले लगाकर वह सुबक पड़ी। महिला के मुखारविंद से बार-बार जनसेवा संस्थान के लिए दुआएं ही सुनाई दीं। मामला दरअसल कुछ यह था कि जनसेवा संस्थान रोहतक में करीब 3 महीने पहले एक लावारिस बच्चा लाया गया था। उसके शरीर पर अनेक चोटें लगी थीं। मानवता के कार्य में लगे संस्थान प्रबंधक स्वामी परम चैतन्य ने उस बच्चे को न केवल अपनाया बल्कि अनाथ आश्रम में उसकी अच्छे से देखभाल करते हुए कुशल चिकित्सकों से उसका मैडीकल ट्रीटमैंट भी शुरू कराया गया।
शुरूआत में बच्चा अपने बारे में कुछ खास नहीं बता पा रहा था लेकिन ज्यों-ज्यों उसकी तबीयत सुधरी उसने अपना नाम मोंटी बताना शुरू किया। कुछ और प्रयास किए गए तो उसने दिल्ली के बाकनेर का जिक्र किया। इस इंफॉर्मेशन पर काम करते हुए स्वामी परम चैतन्य के निर्देशानुसार संस्थान के लोगों ने दिल्ली जाकर संपर्क कायम किया और बताए गए इलाके में बच्चे के परिवार के बारे में खोजबीन शुरू की। लम्बे प्रयासों के बाद आखिरकार वह लोग उस लावारिस के वारिसों को तलाश करने में कामयाब हो ही गए।
2 साल पहले मां से बिछुड़ गया था मोंटी
मोंटी की मां दिल्ली निवासी कविता से जब जनसेवा संस्थान कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया तो उसने उनको बताया कि उसका बेटा करीब 2 साल से लापता है। कविता को जब बताया गया कि उसका लाडला मोंटी न केवल सकुशल है बल्कि रोहतक स्थित जनसेवा संस्थान के आश्रम में रह रहा है तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। कविता अपने लाडले को लेने आज रोहतक आई। महामंडलेश्वर स्वामी परम चैतन्य ने बताया कि बिछुड़े मां-बेटे को मिलवाने के इस पुनीत कार्य में संस्थान से जुड़े कई लोगों का विशेष योगदान रहा। इस मौके पर समाजसेवी विनोद गुप्ता, पवन जिंदल, बलवान,, गौरव कपूर, मुकेश कुमार, एवं पंकज आदि भी मौजूद रहे।