अंबाला: ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर ने बचाई 2 मासूम बच्चों की जान

Edited By Updated: 25 Jul, 2016 05:14 PM

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अंबाला में ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर ने 2 मासूम बच्चों के हाई रिस्क ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान की है। इन दोनों बच्चों को पी.जी.आई. जैसे...

अंबाला (कमलप्रीत): अंबाला में ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर ने 2 मासूम बच्चों के हाई रिस्क ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान की है। इन दोनों बच्चों को पी.जी.आई. जैसे बड़े संस्थानों ने भी अपनी तरफ से जवाब दे दिया था, लेकिन अंबाला के एम.एम. अस्पताल में दोनों बच्चों का कई घंटों के बाद ऑपरेशन सफल हो गया। हालांकि अब इनके परिवार वाले अपने बच्चों को दूसरी नई जिंदगी देने के लिए डॉक्टर और अस्पताल के इलावा भगवान का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे। अब अस्पताल में ही खिलखिलाते इन मासूमों को देखकर हर कोई खुश दिखाई दे रहा है क्योंकि इनमें नीले रंग के शरीर वाली ब्ल्यू. बेबी का ऑपरेशन कोई आम नही था।

 

दरअसल मूल रूप से कुरुक्षेत्र के गांव कंदोली निवासी महज 5 वर्षिय वेदानशी का शरीर जन्म से ही नीला था। जिसके कारण अब उसकी जान भी खतरे में आ गई थी। डॉक्टरी भाषा में ब्लू बेबी कहे जाने वाली इस बच्ची की पी.जी.आई. से अंतिम उम्मीद भी टूट गई थी, लेकिन यहां उसका हाई रिस्क ऑपरेशन कर उसे नई जिंदगी प्रदान की गई। हालांकि बीमारी की वजह से और बच्चों से कटी-कटी रहने वाली वेदानशी अब आम बच्चों की तरह खेलने लगी है। जिसके कारण उसके माता-पिता भी काफी खुश हैं।

 

केवल इतना ही नही, वेदानशी के अलावा उत्तराखंड के सिकंदरपुर निवासी 6 वर्षीय सावन को भी यहां नया जीवन मिला है। दिल में छेद और फेफड़ों में खराबी के कारण देहरादून, सहारनपुर समेत हर जगह से निराश हो चुके सावन का भी यही हाई रिस्क ऑपरेशन किया गया और उसे नया जीवन मिल गया। सिकंदर की मां की मानें तो उनके बेटे ने भी दूसरे बच्चों की तरह खेल कूद समेत बाकी सभी गतिविधियां बंद कर दी थी। जिसके कारण वे चिंता में रहती थी, लेकिन अब वह बिलकुल ठीक है और वे निश्चिंत है।

 

हालांकि इन दोनों मासूम बच्चों का हाई रिस्क ऑपरेशन करने वाले ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर समीर भाट के अनुसार ये उनके और उनकी टीम के लिए बड़ी उपलब्धि है क्योंकि दोनों बच्चों का वजन 10 किलो से कम था और इतने कम वजन वाले बच्चों की ऑपरेशन टेबल पर मरने की ज्यादा संभावना होती है। इनकी जान बचाने के लिए उन्होंने भी रिस्क लिया और परिणाम सकरात्मक निकलकर सामने आए।

 

फिलहाल इन दोनों मासूमों को नई जिंदगी मिल गई है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर काम कर रही खट्टर सरकार सूबे में क्या इन जैसे मासूमों के लिए कोई एक भी बड़ा आधुनिक अस्पताल बनवाएगी। जहां इन जैसे बच्चों को ऐसी जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके क्योंकि पूरे प्रदेश में बच्चों के लिए एक भी आधुनिक अस्पताल नही है। जिसे स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी अपने प्रयासों से सुधार सके और गरीब एवं हारे मां-बाप अपने बच्चों की वहां जान बचा सकें।

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