प्रवासी मजदूर नहीं समझ रहे कोरोना की गम्भीरता: बोले- घर वालों की हो रही फिक्र, हमें जाने दो

Edited By Isha, Updated: 01 Apr, 2020 04:38 PM

migrant laborers do not understand the seriousness of corona

यहां खाने-पीने को मिल रहा है लेकिन हमें घर जाना है। परिजनों की ङ्क्षचता सता रही है। हम यहां नहीं रहना चाहते। हमें हमारे घर पहुंचाने का इंतजाम करवा ....

सोनीपत (ब्यूरो) : यहां खाने-पीने को मिल रहा है लेकिन हमें घर जाना है। परिजनों की ङ्क्षचता सता रही है। हम यहां नहीं रहना चाहते। हमें हमारे घर पहुंचाने का इंतजाम करवा दो तो मेहरबानी होगी साहब। परिजनों की फिक्र में रात को नींद भी नहीं आ रही। यू.पी. के हरदोई जिला निवासी अनंत राम की यह कहानी लगभग हर मजदूर कह रहा है जिसे जिले के अस्थायी शैल्टर होम में आश्रय दिया है। यहां सत्यम माडर्न स्कूल में बनाए शैल्टर होम में जिन 98 मजदूरों को आश्रय दिया है, उनमें से ज्यादातर अपनी मजबूरी बता रहे हैं।

मजदूरों का कहना है कि वे यहां खाना खाते रहें और उनके परिजन घर पर भूखे मरते रहें, यह कैसे हो सकता है। वे हर हाल में घर जाना चाहते हैं। सत्यम स्कूल में ठहरे रामआसरे, विभुवन, प्रह्लाद, विठुर व बनतराम आदि ने बताया कि वे फैक्टरी से उत्तर प्रदेश के लिए निकले थे लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया और पुलिस उन्हें यहां ले आई। अब उनके सामने समस्या है कि वे आखिर अपने घर कैसे जाएं। 

यहां कोई दिक्कत नहीं है लेकिन घर जाना ही है। समस्तीपुर के लिए निकले रामनिखारन ने कहा कि उनका गोना होना है। घर पर सब उनका इंतजार कर रहे हैं। वे नहीं गए तो सब ङ्क्षचता करेंगे। एक अन्य ने कहा कि घर से बार-बार फोन आ रहे हैं। घर जाएंगे तो खेतों में काम करके गुजारा कर लेंगे। यहां कब तक रह सकते हैं।

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