बेटे ने फतेह किया एवरेस्ट, लेकिन सुबह मिली खुशखबरी शाम तक मातम में बदल गई

Edited By Shivam, Updated: 20 May, 2019 09:57 PM

sad story of ravi thakur from sonipat who died after climbed mount everest

हरियाणा के जिला सोनीपत के तारा नगर के रहने वाले रवि ने एवरेस्ट फतेह किया, इस कामयाबी से पूरा परिवार खुशी से झूम उठा, लेकिन इसी बीच खबर आई कि रवि ठाकुर जो देश का नाम रोशन करने की चाह में एवरेस्ट फतेह कर ही चुका था, उसकी सफलता हासिल करने के बाद ही मौत...

सोनीपत (पवन राठी): हरियाणा के जिला सोनीपत के तारा नगर के रहने वाले रवि ने एवरेस्ट फतेह किया, इस कामयाबी से पूरा परिवार खुशी से झूम उठा, लेकिन इसी बीच खबर आई कि रवि ठाकुर जो देश का नाम रोशन करने की चाह में एवरेस्ट फतेह कर ही चुका था, उसकी सफलता हासिल करने के बाद ही मौत हो गई है, इस खबर से घर में मातम पसर गया। आयरलैंड के पर्वतारोही एन रिचर्ड हन्ना के आठ सदस्यीय दल के सदस्य रवि गुरुग्राम की पॉवर-2 एसएमई कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था।

शहर के तारा नगर में रहने वाले बीएसएनएल कर्मी महेश को शुक्रवार सुबह बेटे रवि ठाकुर के एवरेस्ट फतह करने की सूचना अखबार में मिली, जिससे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। परिवार के सदस्य बेटे की उपलब्धि की खुशी में झूम रहे थे, लेकिन इसी बीच रवि ठाकुर के दोस्त द्वारा फोन कॉल पर बताई गई बात से पूरे परिवार की खुशियों को मानो कोई दैत्य एक बार में निगल गया और उन पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा जिस पहाड़ पर चढऩे गया था, वही पहाड़ उसकी जान ले लेगा। दरअसल रवि के दोस्त ने फोन पर रवि की मौत की मौत की खबर बताई थी।

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सांसद कौशिक ने कहा- रवि वहां क्या करने गया था?
एक ओर जहां परिवार के सदस्य इस घटना से अभी तक पूरी तरह से स्तब्ध हैं और उन्हें रवि की मौत पर यकीन नहीं हो रहा। वहीं परिजनों ने बताया गया कि मदद के लिए सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है, लेकिन कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है। परिजनों का आरोप है कि सांसद रमेश कौशिक ने तो यहां तक कह दिया कि रवि वहां क्या करने गया था? सांसद ने यह भी कहा कि अभी इलेक्शन चल रहे हैं, इलेक्शन के बाद ही देखेंगे।

शव घर पहुंचाने की कीमत 30 लाख
गौरतलब है कि 22 मई को नेपाल से रवि का शव सोनीपत लाया जाएगा, लेकिन इसमें लगने वाले खर्च में मांगे गए पैसों का बोझ परिजन नहीं वहन नहीं कर सकते, क्योंकि शव को घर पहुंचाने की कीमत 30 लाख बताई गई है।

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अंतिम बार 10 मई को हुई थी बात
रवि 7 अप्रैल को घर से एवरेस्ट फतह करने की बात कहकर गया। इसके लिए उसने पर्वतारोही एन रिचर्ड हन्ना के ग्रुप को चुना। उनके साथ ट्रेनिंग लेेने के बाद रवि व उनके दल ने 11 मई को चढ़ाई शुरू की। हालांकि अचानक मौसम खराब होने के चलते उनका अभियान दो दिन के लिए रोक दिया गया था। उसके बाद चढ़ाई करते हुए रवि ठाकुर व उनके दल ने 16 मई को डेढ़ बजे एवरेस्ट चोटी पर झंडा फहराया। रवि ने 10 मई को घरवालों से बातचीत की थी, उस दिन उसने कहा था कि अब एवरेस्ट फतह कर वापस आने के बाद ही बात करेगा। 

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सुबह मिली खुशखबरी, शाम तक पसर गया मातम
रवि के पिता महेश ने बताया कि बेटे के एवरेस्ट फतह करने के बाद से पूरा परिवार खुशी में डूबा था। दोपहर बाद तीन बजे रवि के दोस्त कर्मेंद्र ने उन्हें रवि के बारे में बुरी खबर दी। जिसके बाद से परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है। सभी एक-दूसरे को ढांढस बंधाने में लगे हैं। वही उसके पिता महेश ने बताया कि वह सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहा है लेकिन कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है। 

बहन को अब भी नहीं रवि की मौत पर यकीन
रवि के परिवार में मां-बाप व एक भाई व दो बहन हैं। रवि से बड़ा एक भाई प्रदीप और बहन मीनू है, रवि तीसरे नंबर पर था, उससे छोटी एक बहन शालू है। रवि की मौत से झुब्ध बहन मिनी का कहना है कि उसके भाई को कुछ नहीं हुआ है, अगर प्रशासन और सरकार उनके मदद करें और उसे ढूंढो तो वह ठीक-ठाक आ सकता है, लेकिन हमारी सरकार कुछ नहीं कर रही है।

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