अभय चौटाला ने बजट सत्र में कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा

Edited By Vivek Rai, Updated: 03 Mar, 2022 07:31 PM

abhay chautala surrounded the government on many issues

इनेलो प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने वीरवार को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि इनेलो पार्टी की तरफ से 17 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए गए । जिसमें से 15 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव नामंजूर कर दिए गए। उन्होंने...

चंडीगढ़(धरणी): इनेलो प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने वीरवार को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि इनेलो पार्टी की तरफ से 17 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए गए । जिसमें से 15 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव नामंजूर कर दिए गए। उन्होंने कहा कि सभी ध्यानाकर्षण जनता से जुड़े मुद्दे थे और उन पर चर्चा की जानी चाहिए थी लेकिन जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने से भाग रही भाजपा गठबंधन सरकार। सदन की गरिमा को पूर्ण रूप से खत्म करने का काम भाजपा ने किया है।

अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा में दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्तावों को सिलसिलेवार बताते हुए कहा कि  दस साल पुराने ट्रैक्टर पर एनसीआर में पाबंदी लगवाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि ट्रैक्टर तो गड्ढे की श्रेणी में आता है और अगर गड्ढे को दस साल बाद नहीं चला सकते तो किसान खेत कैसे जाएगा, खेत में बुआई कैसे करेगा और अपनी फसल को मंडी कैसे लेेकर जाएगा। इसको अस्वीकार कर दिया गया।

परिवार पहचान-पत्र के तहत बुजुर्गों की पेंशन काटी जा रही है। हर जिले से 20 से 25 हजार बुजुर्गों की पेंशन काटी गई है। हम इस पर चर्चा करवाना चाहते थे लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया।

प्रॉपर्टी आईडी लागू करने पर उन्होंने कहा कि गांव में रहने वाला व्यक्ति जिसका शहर में भी प्लॉट है वो बिना प्रापर्टी आईडी के बेच नहीं सकता। प्रॉपर्टी आईडी बनवाने के लिए प्रॉपर्टी के कुल मूल्य की पांच प्रतिशत रिश्वत मांगी जाती है, इस पर हम चर्चा करना चाहते थे लेकिन इसे भी अस्वीकार कर दिया गया।

कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को कई प्रदेशों ने पुन: लागू कर दिया है। हरियाणा में लागू करवाने के लिए हम सदन में इस पर चर्चा करना चाहते थे, इसे भी अस्वीकार दिया गया।

बेमौसमी बारिश के कारण किसानों की गेहूं और सरसों की फसलें पूरी तरह से खराब हो गई हैं। प्रति एकड़ सरसों की फसल की बुवाई, बिजाई, खाद, बीज, डीजल, जमीन का ठेका, मजदूरी, बिजली-पानी सभी को मिलाकर लगभग एक लाख रुपए खर्च आता है। हमने 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है ताकि किसान अगली फसल की तैयारी कर सके। इसे भी अस्वीकार कर दिया गया।

भाजपा सरकार कृषि के तीन कानून लेकर आई थी जिस कारण किसानों को आंदोलन करना पड़ा और सरकार को उन्हें वापिस लेना पड़ा था। भाजपा सरकार भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आई है जो कि पूर्णत: किसान विरोधी है। इसे भी अस्वीकार कर दिया गया।

बेरोजगारी के मुद्दे पर दिए गए ध्यानाकर्षण पर उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश बेरोजगारी में आज नम्बर एक पर है और प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जी के 2000 से 2005 के मुख्यमंत्री शासनकाल से ही लागू है। इसे भी अस्वीकार कर दिया गया ।

बिगड़ती कानून व्यवस्था पर उन्होंने कहा कि हररोज बलात्कार, हत्या, लूट और फिरौती की वारदातें बढ़ती जा रही हैं जिस पर हम चर्चा करना चाहते थे लेकिन इसे भी नामंजूर कर दिया गया।

भाजपा सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की बात कही थी, आज आय तो दोगुनी नहीं हुई, ऊपर से खराब हुई फसलों का मुआवजा देने में भी आनाकानी कर रही है, इसे भी नामंजूर कर दिया गया है।

2014 से लेकर 2022 तक मुख्यमंत्री ने कितनी घोषणाएं की और कितनी घोषणाओं पर काम शुरू हुआ इस पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया गया लेकिन इसे भी नामंजूर कर दिया गया। यह महत्वपूर्ण इसलिए था क्योंकि अभी तक 31 फीसदी घोषणाएं ऐसी हैं जिन पर काम शुरू तक नहीं हुआ और सबसे बड़ी बात 4.35 प्रतिशत घोषणाएं ऐसी थी जो कि गलत थी, जिन पर काम हो ही नहीं सकता था।

नशे के मुद्दे पर दिए गए ध्यानाकर्षण को भी नामंजूर कर दिया गया। यह एक अति महत्वपूर्ण विषय था जिस पर सदन में चर्चा होनी बहुत जरूरी थी। भाजपा सरकार के पहले शासनकाल में बाकायदा सबूतों के साथ सदन में नशे के कारोबारियों की जानकारी रखी गई थी लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज भी प्रदेश में नशा  और जुए के अड्डे सरकारी संरक्षण में धड़ल्ले से चल रहे हैं। अगर चर्चा होती तो बाकायदा नाम और सबूतों के साथ बताता।

 

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