किसान के पक्ष में उतरी भाकियू, बैंक का किया घेराव

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 11 Jul, 2018 12:54 PM

landed in favor of the farmer

यूनियन बैंक की उमरी शाखा में गत 3 जुलाई को किसान व बैंक मैनेजर के बीच नोक-झोंक के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उस दिन बैंक अधिकारी ने किसान पर मारपीट का आरोप लगाया था जिसे किसान सिरे से नकार रहा है। सोमवार को बैंक कर्मी के पक्ष में बैंक एसोसिएशन उतर...

पिपली(सुकरम): यूनियन बैंक की उमरी शाखा में गत 3 जुलाई को किसान व बैंक मैनेजर के बीच नोक-झोंक के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उस दिन बैंक अधिकारी ने किसान पर मारपीट का आरोप लगाया था जिसे किसान सिरे से नकार रहा है। सोमवार को बैंक कर्मी के पक्ष में बैंक एसोसिएशन उतर आई थी लेकिन अब किसान के पक्ष में भाकियू उतर आई है।

बैंक अधिकारी की कार्यशैली से खफा किसानों ने मंगलवार को भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में उमरी यूनियन बैंक का घेराव किया। इस दौरान बैंक कर्मियों व उमरी के एक किसान से कुछ कहासुनी भी हुई लेकिन बीच में कुछ मौजिज लोगों के आने से मामला शांत हो गया। 

गुरनाम ने कहा कि जिला प्रशासन किसान के खिलाफ दर्ज की शिकायत रद्द करके मामले की सच्चाई जानकर बैंक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करे। किसानों ने बैंक के बाहर टैंट लगाकर बैंक कर्मियों के खिलाफ नारेबाजी की। गुरनाम ने कहा कि बैंक अधिकारी द्वारा बिना किसान का पक्ष जाने उसके खाते से राशि काटना सरासर गलत है। 

यदि उनको खाते से राशि काटनी ही थी तो पहले बैंक मैनेजर को इसकी जानकारी किसान को देनी चाहिए थी। सूचना मिलते ही थाना प्रबंधक निर्मल सिंह व डी.एस.पी. गुरमेल सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को समझाने का प्रयास भी किया लेकिन किसान बैंक के एल.डी.एम. व एस.डी.एम. के मौके पर आने की मांग करने लगे। जिला प्रशासन की ओर से पहले तहसीलदार भी किसानों का पक्ष जानने के लिए आए लेकिन भाकियू ने उनके सामने पक्ष रखने से मना कर दिया।
 

किसानों का रुख देखकर डी.एस.पी. गुरमेल सिंह,  यूनियन के पदाधिकारी और बैंक का एल.डी.एम. मौके पर पहुंचे। पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में दोनों पक्षों में बातचीत हुई जोकि सिरे नहीं चढ़ सकी। भाकियू बैंक अधिकारी को सामने लाकर बात करने पर अड़ी रही लेकिन जब बात नहीं बनी तो पुलिस ने दोनों पक्षों को 2 दिन का समय दिया।

गुरनाम ने कहा कि जब तक बैंक अधिकारी बातचीत में पक्ष नहीं रखता, तब तक भाकियू किसी कीमत पर समझौता नहीं करेगी। यदि जिला प्रशासन ने उन पर दवाब बनाया तो भाकियू धरने पर बैठने पर मजबूर होगी जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
 

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