प्रमोशन के लिए परीक्षा में धांधली, विजीलैंस ने 10 दिन में मांगा जवाब

Edited By Updated: 16 May, 2017 09:53 AM

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प्रतिष्ठित संस्थान एन.डी.आर.आई. में अपने चहेते की प्रमोशन के लिए सभी कायदे-कानून ताक पर रख दिए गए। संस्थान में एल.डी.सी. से सहायक प्रशासनिक अधिकारी के

करनाल:प्रतिष्ठित संस्थान एन.डी.आर.आई. में अपने चहेते की प्रमोशन के लिए सभी कायदे-कानून ताक पर रख दिए गए। संस्थान में एल.डी.सी. से सहायक प्रशासनिक अधिकारी के प्रमोशन के लिए हुई प्रतियोगी परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया है। एन.डी.आर.आई. में जनवरी-2016 में एल.डी.सी. से सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर प्रमोशन के लिए विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के लिए सूचना जारी की गई जिसमें 3 साल की सेवा को योग्यता माना गया। परीक्षा के लिए 11 सहायकों का चयन किया गया लेकिन 29 फरवरी और 2 मार्च, 2016 को हुई परीक्षा में केवल 5 परीक्षार्थी शामिल हुए। परीक्षा के लिए डा. सुमित अरोड़ा को कंट्रोलर बनाया गया। 

परीक्षकों की टीम में डा. सुनील, एन.के. जैन, एस.एस. मीना और बी.एस. मीना को पर्यवेक्षक बनाया गया। परीक्षा में सर्वाधिक अंक 500 में से 364 नम्बर चिरंजीलाल के आए। दूसरा नम्बर विवेक सैनी का था जिनके नम्बर 296 और तीसरा नम्बर रामधारी का था जिनके 227.3 नम्बर थे। यहां चिरंजीलाल को नम्बर के आधार पर प्रथम घोषित कर सहायक प्रशासनिक अधिकारी पद पर 11 मार्च को नियुक्त कर दिया गया। यह नियुक्ति भी तत्कालीन निदेशक डा. ए.के. श्रीवास्तव के समय में हुई। यहां पर जब मामला खुला तो इसकी विजीलैंस जांच की गई। जांच में सामने आया कि चिंरजी लाल ने सभी उत्तर हर प्रश्नपत्र में सुंदर राइटिंग में लिखे। उसने तकनीकी शब्द भी ज्यों के त्यों लिखे जो या किताबों में लिखे होते हैं या फिर वैबसाइट्स पर। इससे संदेह पैदा हुआ कि उसने अपने उत्तर किताबों से या वैबसाइट्स पर उपलब्ध मैटीरियल से कॉपी किए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उसने अतिरिक्त समय भी लिया। 

यहां पर जनरल नॉलेज का पेपर था जिसमें ओब्जैक्टिव प्रश्न थे। उसने 95 सही उत्तरों पर टिक लगा दिए जो संदेह पैदा करता है। उसने इनकोरैक्ट आंसर लगाए जोकि 28 नम्बर के थे। 28 नम्बर घटाकर स्कोर 67 बनता था। यहां भी उसने मैनुप्लेट किया और उसके 95 नम्बर आ गए। परीक्षा के बाद आंसर शीट में गडबड़ी की संभावना बनी हुई है। अगले प्रश्न पत्र भारतीय संविधान के सामान्य ज्ञान, सरकारों की मशीनरी, प्रैक्टिस और प्रोसिजर पर आधारित था। इसमें भी उसने 100 में से 86 नम्बर प्राप्त किए। 

यहां पर प्रश्नों के उत्तर चिरंजी लाल ने वर्ड बॉय वर्ड लिखे, जो संभव नहीं था। उसने यहां जो गडबड़ी की, वह यह थी कि उसने उत्तर अपनी भाषा में लिखने के बजाय किताबों में दर्ज भाषा और मैटीरियल में उपलब्ध तकनीकी वर्ड लिख दिए, जो संभव नहीं है। 11 में से जो 6 लोग परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे। उसमें भी काफी गडबड़ी की संभावना बनी हुई है। विवेक सैनी जो दूसरे नम्बर पर रहा, उसके 296 नम्बर थे। उसने भी अपनी बात कही। चिंरजी लाल को नियुक्ति करते समय सभी मापदंडों को ताक पर रखा गया। ऐसा लगा कि उसने सारा सिस्टम हाईजैक कर लिया। यहां न तो डायरैक्टर निदेशालय के लोगों को शक गया और न ही इस तरफ किसी ने ध्यान दिया। ऐसा लगा कि सभी जगह मैनोपुलेट किया जा रहा है। इन सब आधारों पर आई.ए.आर. के अंडर सैक्रेटरी विजीलैंस ने चिंरजी लाल को नोटिस जारी कर 10 दिन के भीतर जवाब मांगा है। इसमें कहा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ विभागीय डिस्पिलीमैटरी कार्रवाई 
की जाए।

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