उरलाना माइनर टूटने से  50 से भी अधिक एकड़ गेहूं की फसल व चारा जलमग्न

Edited By Punjab Kesari, Updated: 21 Dec, 2017 01:02 PM

more than 50 acres of wheat crop and fodder submerged

बलबेहड़ा रोड़ स्थित उरलाना माइनर के टूट जाने से 50 से भी अधिक एकड़ में खड़ी किसानों की गेेहूं की फसल व चारा जलमग्न हो गए। किसानों को जैसे ही उरलाना माइनर के टूटने की खबर मिली तो किसान जैसे-तैसे कड़ाके की ठंड के बावजूद भी अपनी फसल को बचाने के लिए...

गुहला चीका(ब्यूरो):बलबेहड़ा रोड़ स्थित उरलाना माइनर के टूट जाने से 50 से भी अधिक एकड़ में खड़ी किसानों की गेेहूं की फसल व चारा जलमग्न हो गए। किसानों को जैसे ही उरलाना माइनर के टूटने की खबर मिली तो किसान जैसे-तैसे कड़ाके की ठंड के बावजूद भी अपनी फसल को बचाने के लिए टूटी नहर की तरफ दौड़ पड़े। किसानों ने नहर को पाटने के लिए कई घंटों तक भारी मशक्कत की परंतु नहर में पानी का दरार इतना अधिक था कि किसानों द्वारा उसे बंद नहीं किया जा सका और  किसान नहरी विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की बाट जोहते रहे। 

मजे की बात तो यह है कि किसान तो अपनी फसल बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में पानी के बीच ही खड़े रहे लेकिन पूरी रात बीत जाने के बाद तक भी नहरी विभाग का कोई भी अधिकारी व कर्मचारी टूटी नहर को बंद करने के लिए नहीं पहुंचा। सुबह होने के बाद जब सब कुछ जलमग्न हो चुका था तब विभाग की ओर से एक जे.सी.बी. आई जिससे कई घंटे की मशक्कत के बाद टूटी नहर को पाटा गया। नहर बंद होने के बाद किसानों ने राहत की सांस ली लेकिन जब तक नहर बंद हुई तब तक किसानों की फसलें पानी में डूब चुकी थी

किसान मलकीत सिंह, प्रवीन कुमार, मुखत्यार सिंह, रामपाल, शिंगारा सिंह, रामकुमार, बलवीर सिंह, बलजीत सिंह, ओमप्रकाश, हरनेक सिंह, मेजर सिंह, दारा सिंह, व विक्रम सिंह ने बताया कि नहर में विभाग की ओर से पानी छोड़ा गया था लेकिन नियमानुसार नहर में पानी छोडऩे से पहले उसकी पूरी तरह साफ-सफाई की जाती है ताकि चलते पानी में कोई ऐसी दिक्कत न आए। नहर टूटने के बाद देखते ही देखते किसानों की 50 से भी अधिक एकड़ भूमि में खड़ी फसल जलमग्न हो गई। उन्होंने कहा कि यदि नहरी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी किसानों द्वारा दी गई सूचना के तुरंत बाद टूटी नहर को संभाल लेते तो किसानों का आज इतना नुक्सान न होता। 

उन्होंने कहा कि कुछ किसानों की जहां सारी गेहूं की फसल खराब हो गई है, वहीं पशुओं के चारे के लिए भी कुछ नहीं बचा। उन्होंने यह भी बताया कि खेतों में बने घरों में भी पानी घुस गया है जिस कारण उनके खेतों में बने मकान किसी समय भी ढह सकते हैं। किसानों का आरोप है कि नहर टूटने के बाद किसानों द्वारा दी गई सूचना के बावजूद जो अधिकारी समय पर नहीं पहुंचे उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। उधर, दूसरी तरफ नहरी विभाग के एक्सियन हुकम चंद से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जैसे ही नहर टूटने की सूचना मिली तुरंत एस.डी.ओ. व जे.ई. तथा पटवारी को मौके पर भेज दिया गया था। नहर टूटने से किसी भी किसान का कोई नुक्सान नहीं हुआ। 

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