Bye Bye 2017, धरने व प्रदर्शनों के बीच बीता ये साल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 30 Dec, 2017 01:05 PM

bye bye 2017  this year between fairs and demonstration

वर्ष 2017 खट्टी मीठी यादों को छोड़ समाप्ति की तरफ है। वर्ष 2017 ज्यादातर धरना व प्रदर्शनों के बीच बीत गया, जहां राजनीतिक दल हाशिया पर रहे, वहीं दूसरे सामाजिक व गैर-राजनीतिक दल साल भर पूरी तरह सक्रिय रहे। साल के शुरूआत में ही फरवरी माह में जहां जाट...

गुहला चीका(ब्यूरो):वर्ष 2017 खट्टी मीठी यादों को छोड़ समाप्ति की तरफ है। वर्ष 2017 ज्यादातर धरना व प्रदर्शनों के बीच बीत गया, जहां राजनीतिक दल हाशिया पर रहे, वहीं दूसरे सामाजिक व गैर-राजनीतिक दल साल भर पूरी तरह सक्रिय रहे। साल के शुरूआत में ही फरवरी माह में जहां जाट आंदोलन की गांव भागल से धरने के द्वारा शुरू की गई। कुछ समय बाद युवा संगठनों द्वारा तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया जिसके समांतर सरकार द्वारा भी तिरंगा यात्रा निकाली गई लेकिन सरकार की यात्रा की उस समय हवा निकल गई जब युवा संगठनों द्वारा निकाली गई तिरंगा यात्रा में लोगों की तादाद ज्यादा नजर आई। सरकार द्वारा जीरी के अवशेषों पर लगाई गई पाबंदी के विरोध में किसान संगठनों द्वारा भी कई बार विरोध, प्रदर्शन किए जाते रहे जिसके परिणाम स्वरूप सरकार बैकफुट पर नजर आई। पूरा साल विपक्षी पाॢटयां कोई बड़ा धरना व प्रदर्शन करने में जहां नाकामयाब रही, वहीं दूसरे सामाजिक संगठन व संस्थाएं सालभर सक्रिय रही। 

साल के अंतिम दिनों में रैलियों के माध्यम से विपक्षी नेताओं ने दिखाई अपनी ताकत 
साल भर के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री रणदीप सुर्जेवाला गुहला में पीडल, बलबेहड़ा व खरकां में 3 बड़ी रैलियां कर जिले में अपना राजनीतिक कद बढ़ाने में सफल रहे। साल के अंतिम माह दिसम्बर में आम आदमी पार्टी ने खरकां में एक बड़ी रैली कर व हरियाणा शिरोमणि अकाली दल बादल ने चीका में एक राज्य स्तरीय प्रैस कांफ्रैंस में 2019 में विधानसभा व लोकसभा का चुनाव लडऩे की घोषणा की। साल भर का सार यह रहा कि सत्ता पार्टी को विरोधी पाॢटयों की तरफ से कोई चुनौती नहीं मिली जिसके चलते सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को पूरा साल किसी प्रकार की कमी का अहसास नहीं हुआ और पार्टी की तरफ से बार-बार गुहला में विकास के दावे किए जाते रहे लेकिन विकास सिर्फ नारियल फोडऩे तक ही रह लिया जो जनता के सामने मुंह बोलती तस्वीर है। 

‘कालेज बनवाने का श्रेय पूर्व विधायक ईश्वर सिंह को जाता है’
बेशक गुहला में महिला कालेज बनाने का श्रेय भाजपा को गया हो परंतु धरातल की सच्चाई यह है कि कालेज खुलने का असली श्रेय गुहला के पूर्व विधायक ईश्वर सिंह को जाता है। बता दें कि जब ईश्वर सिंह राज्यसभा सांसद थे तो उन्होंने हलका गुहला में जहां करीब 21 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाएं थे, वहीं महिला कालेज खोलने का भरसक प्रयास भी किया था तब जाकर भाजपा ने उक्त कालेज को खोलने के लिए जनता में वाहवाही लूटी। इतना ही नहीं, अब जगह-जगह बन रहे सामुदायिक केंद्र भी सबसे पहले भवानी मंदिर चीका में ही बनवाया था, जबकि भाजपा सरकार ने इस प्रकार के सामुदायिक केंद्र आज तक हलका गुहला में कहीं भी नहीं बनवाएं और हलका गुहला की जनता विकास के नाम पर आज भी उनका नाम जुबान पर बार-बार ले रही है। 

नंदीशाला में मरने वाली गायों का आंकड़ा पहुंचा 100 के करीब
आनन-फानन में खोली गई नंदीशाला शुरू से ही विवादों का केंद्र रही। नंदीशाला के खोलने से पूर्व ही शुरू हुई राजनीति आज तक नंदीशाला का दुर्भाग्य बनी हुई है जिस तरह नंदीशाला के खुलते ही नंदीशाला को खोलने का श्रेय लेने की होड़ लगी गायों की मृत्यु के बाद कोई भी उसकी जिम्मेदारी लेने को आज तक तैयार नहीं हुआ। समाचार पत्रों व समाज सेवी संस्थाओं, शहर के गण्यमान्य लोगों ने पूर्व में ही गायों की दुर्दशा व अनहोनी पर अनेक बार प्रशासन को अवगत करवाया लेकिन प्रशासन आज भी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं। गायों की मौत का आंकड़ा 100 के करीब पहुंच गया है लेकिन सिवाय राजनीतिक रोटियां सेंकने के आज भी नंदीशाला में कोई उचित इंतजाम नहीं दिखाई देता। नगरपालिका के खाते से लगभग 50 लाख रुपए के करीब खर्च करने का पता चला है लेकिन न तो नंदीशाला में कोई बड़ा शैड बना है और न ही आज तक पानी व चारे का इंतजाम हो पाया है। पूरा साल लोग नंदीशाला प्रशासन व सरकार को कोसकर रह गए लेकिन सरकार के कानों पर कोई भी जूं तक रेंगती दिखाई नहीं दी। 

खद्दरधारियों का पूरा साल बीता नारियल फोडऩे में
राजनीति लोगों द्वारा हलका गुहला के विकास की ओर ध्यान न देकर पूरा साल खद्दरधारियों का नारियल फोडऩे में ही बीता दिया जिसका जनता में आक्रोश है। सरकार द्वारा अनेक प्रकार की योजना शुरू करने के नाम पर नारियल फोडऩे में खद्दरधारी देर तक नहीं लगाते लेकिन धरातल पर आज तक किसी भी बड़ी योजना को अंजाम नहीं दिया गया। हालांकि शहर में फोरलेन बनाने को लेकर बड़े लंबे चौड़े विकास के दावों को अंजाम दिया जा रहा है लेकिन उक्त सड़क बनाने में भी लोगों को राजनीतिक नफा-नुक्सान दिखाई देने लगा। शहर के लोगों का आरोप है कि अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए उक्त फोरलेन को उनकी इच्छानुसार किया गया। सड़क पर लगने वाली सामग्री को लेकर लोगों ने अनेक सवाल दागे हैं। 

नगर पालिका की कर्मचारियों की कुर्सियां साल भर रही खाली
नवनियुक्त नगरपालिका शुरू से ही आपसी खींचातानी का शिकार हुई थी जिसका कुछ समय पहले भरत मिलाप भी दिखाई दिया था लेकिन असलियत में वह धृतराष्ट्र भीम मिलाप की तरह सिद्ध हुआ। नगरपालिका की राजनीति जहां से शुरू हुई थी आज भी वहीं खड़ी है। साल भर से नगरपालिका में कोई भी अधिकारी स्थायी रूप से विराजमान नहीं, अधिकारियों की लगभग सभी मुख्य पोस्टें तबादला होने की वजह से रिक्त पड़ी हैं जिससे लेकर लोगों में गहरा आक्रोश है। 
 

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