शिवालिक पहाड़ियों में विराजमान है माता बालासुंदरी, जहां होती है हर मन्नत पूरी

Edited By Nisha Bhardwaj, Updated: 10 Apr, 2017 11:19 AM

mata bala sundari mandir

हरियाणा और हिमाचल की सीमा पर शिवालिक की पहाड़ियों में देव भूमि हिमाचल की गोद में बसे त्रिलोकपुर में मां बालासुंदरी देवी का मंदिर....

यमुनानगर(सुमित ओबेराय):हरियाणा और हिमाचल की सीमा पर शिवालिक की पहाड़ियों में देव भूमि हिमाचल की गोद में बसे त्रिलोकपुर में मां बालासुंदरी देवी का मंदिर स्थित है। मंदिर में बजने वाली 81 घंटियों के अलावा यहां गूंजने वाले माता के जयकारों से न सिर्फ हिमाचल बल्कि हजारों की संख्या में भक्तजन यहां पहुंचकर अपना शीश नवाते हैं और मां वैष्णों के बाल स्वरूप के रूप में पूजी जाने वाली माता बाला सुंदरी के आशीर्वाद से खुद को धन्य मानते है।
PunjabKesari
पीपल की जड़ से प्रकट हुई थी मां बाला सुंदरी
कहा जाता है कि रात्रि को स्वप्न में मां भगवती ने उस व्यापारी को बालरूप में दर्शन दिए और कहा कि मैं पिंडी रूप में तुम्हारी नमक की बोरी में आ गई थी और अब मेरा निवास तुम्हारे आंगन में स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में है। लोक कल्याण हेतु तुम यहां एक मंदिर का निर्माण करो। सुबह होने पर व्यापारी ने पीपल का वृक्ष देखा, तभी बिजली की चमक व बादलों की गड़गड़ाहट के साथ पीपल का पेड़ जड़ से फट गया तथा माता साक्षात रूप में प्रकट हो गई। यह घटना विक्रमी संवत 1627 की बताई जाती है। उस समय सिरमौर राजधानी का शासन महाराज प्रदीप प्रकाश के अधीन था। एक रात्रि माता ने उन्हें भी स्वप्न में दर्शन देकर भक्त रामदास वाली कहानी सुनाई तथा मंदिर बनवाने की इच्छा प्रकट की। माता का आदेश पाकर महाराज प्रदीप प्रकाश ने तुरंत ही मंदिर के निर्माण का आदेश दे दिया। तीन वर्षों में ही मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया गया।1630 में बने इस मंदिर की शोभा देखते ही बनतीहै। यह मंदिर मुगलकालीन वास्तुकला का जीता जागता प्रमाण है। 3 मार्च 1974 को मंदिर की देख-रेख का कार्य हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने हाथों में ले लिया तथा माता बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर बोर्ड का गठन किया गया।
PunjabKesari
मां बाला सुंदरी के मंदिर की खोज 1573ईस्वी में लाला राम दास नाम के एक व्यापारी ने की थी। रामदास नमक का व्यापार करते थे। वह उत्तर प्रदेश के सहानपुर में शाकुंभरी देवी के दर्शन करने के बाद वहां से नमक लाकर बेचा करते थे। एक दिन लाला ने देखा कि उनका सारा नमक बिक चुका है, लेकिन थैले में वह जितना नमक लेकर आए थे, उतना अभी भी मौजूद था। इसका पता चलते ही पूरे इलाके में यह बात फैल गई। अब हर कोई अपने-अपने स्तर पर इस रहस्य की खोज करने में जुट गया। कुछ समय बाद पता चला कि जहां लाला ने नमक बेचा था। वहां पर मां वैष्णों देवी का बाल स्वरूप है तभी लाला ने ठान ली कि वह वहां पर मां के मंदिर का निर्माण करवाएंगे।
PunjabKesari
मां के दर्शनों के लिए अलग-अलग राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
मां बाला सुंदरी मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां पर हिमाचल, हरियाणा के अलावा दिल्ली, यूपी, पंजाब तथा कई अप्रवासी भारतीय भी माता के दर्शन के लिए आते है। भक्तजनों के अनुसार इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और लोग मंदिर में हलवे का प्रसाद और फूल मालाएं चढ़ाकर मन्नत मांगते है। यहां साल में दो बार अश्विनी व चैत्र मास के नवरात्रों में मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में दूर-दराज से भक्तजन माता के दर्शनों हेतु आते हैं।
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!