Edited By Manisha rana, Updated: 25 Aug, 2025 11:30 AM

हरियाणा की पूर्व आई. ए. एस. रेनू फुलिया को अम्बाला मंडल कमिश्नर संजीव वर्मा की कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अम्बाला मंडल कमिश्नर की कोर्ट ने पंचकूला जिले की बीड़ फिरोजड़ी गांव की 14 एकड़ विवादित जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया है।
चंडीगढ़ : हरियाणा की पूर्व आई. ए. एस. रेनू फुलिया को अम्बाला मंडल कमिश्नर संजीव वर्मा की कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अम्बाला मंडल कमिश्नर की कोर्ट ने पंचकूला जिले की बीड़ फिरोजड़ी गांव की 14 एकड़ विवादित जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया है। अहम यह है इस जमीन का म्यूटेशन तत्कालीन मंडल कमिश्नर रेनू फुलिया की कोर्ट से किया गया था, जहां केस फाइनल होने के 2 महीने पहले ही जून 2023 में उनके पति और बेटे के नाम पर 5 एकड़ जमीन का सौदा कर लिया गया था।
इतना ही नहीं उनकी ओर से 24-24 लाख रुपए जमीन मालिक को बयाना के तौर पर भी दिया गया था। इसके बाद जब जमीन खरीद को लेकर विवाद खड़ा हुआ तो इस मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। हालांकि कमेटी की रिपोर्ट तो सार्वजनिक नहीं हो पाई लेकिन अब अम्बाला डिवीजनल कमिश्नर संजीव वर्मा की कोर्ट ने मामले को री-कॉल करते हुए सुनवाई के बाद म्यूटेशन रद्द करने का फैसला दिया है।
मंडल कमिश्नर संजीव वर्मा की कोर्ट ने दिया ये आदेश
मंडल कमिश्नर की कोर्ट ने अपने आदेशों में लिखा है कि 13 सितंबर 2023 के ऑर्डर का कोई मी कानूनी आधार पर नहीं है। इसलिए इसे वापस लेने का आदेश दिया जाता है और याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका संख्या 173 दिनांक 28 अगस्त, 2023 को खारिज करने का आदेश दिया जाता है। लोकायुक्त कोर्ट द्वारा 13 सितम्बर, 2023 के आदेश को वापस लेते हुए म्यूटेशन नंबर 148 को भी रद्द करने का आदेश दिया जाता है।
इसके साथ ही यदि इसे बाद की सेटलमेंट में शामिल कर लिया गया है तो लॉ के अनुसार फर्द बदर तैयार करके एंट्री को सही किया जाए। म्यूटेशन नंबर 148 के अलावा यदि कोई अन्य रेवेन्यू एंट्री को बदला गया है तो उसे भी रह किया जाए। ऑर्डर की एक कॉपी मुख्य सचिव हरियाणा को भी आगे की कार्रवाई के लिए भेजी जाएगी। फाइल की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि 18 सितम्बर, 2003 के ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन पटीशन 13 सितम्बर, 2023 को दायर की गई थी यानी 20 साल से अधिक के गैप के बाद और पटीशन दायर करने में इस तरह के देरी के लिए कोई वैध कारण नहीं बताया गया। ऐसी स्थिति में देरी को माफ करने का कोई स्पैशल आर्डर भी नहीं है। रिवीजन पिटीशन पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए थी। इसके साथ इस पूरे मामले के अच्छे और खराब बिंदुओं की पूरी तरह से अनदेखी की गई और फैसला ले लिया गया।
इसके पीछे रही अधिकारी की व्यक्तिगत रुचि
आदेश में कहा गया है कि राज्य की ओर से रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से यह स्पष्ट है कि तत्कालीन एलडी पीठासीन अधिकारी की इस मामले में व्यक्तिगत रुचि थी और उन्होंने 20 जून, 2023 को याचिकाकर्ताओं से इस भूमि खरीदने के लिए पहले ही एक समझौता कर लिया था, जबकि वर्तमान रिट 28 अगस्त, 2023 को दायर की गई है। संभावित विक्रेता तत्कालीन एलडी के पति और पुत्र हैं। पीठासीन अधिकारी जो स्पष्ट रूप से तत्कालीन एल डी की ओर से विश्वासघात साबित करता है। इसके अलावा उनके पक्ष में सेल डीड एग्जक्यूट करने के लिएयाचिकाकर्ताओं के पक्ष में 20 मार्च 2024 को म्यूटेशन संख्या 148 को मंजूरी दी गई थी। यह म्यूटेशन भी 13 सितम्बर, 2023 के आदेश के आधार पर मंजूर की गई है। इस म्यूटेशन की जांच से यह भी स्पष्ट है कि यह म्यूटेशन 19 मार्च, 2024 को गिफ्ट डीड 13 अगस्त, 2003 के आधार पर दर्ज किया गया था। इस प्रकार म्यूटेशन एक दस्तावेज के आधार पर दर्ज किया गया है जिसे एग्जीक्यूट किया गया है। लगभग 20 साल पहले और इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि इस म्यूटेशन के लाभाथी ने 13 अगस्त, 2003 से 19 मार्च, 2024 के बीच आवेदन क्यों नहीं किया था। बताया गया कि प्रथम दृष्टया राजस्व अधिकारी को 13 सितम्बर, 2023 के आदेश के पारित होने के कारण भी इस म्यूटेशन को मंजूरी नहीं देनी चाहिए थी।
2002 में शुरू हुआ यह पूरा मामला
यह मामला पंचकूला के सात गांवों में फैली लगभग 1396 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिसका मूल मालिकाना हक राजा भगवंत सिंह के पास था। 2002 में पूर्व आई.ए.एस. सुनील गुलाटी ने कथित तौर पर इसमें से 14 एकड़ जमीन अपने और अपनी बहन के नाम पर खरीदी थी। हालांकि 2003 में तत्कालीन कलैक्टर एग्रेरियन ने जमीन के हस्तांतरण पर रोक लगा दी थी। नतीजतन जमीन का सौदा अधूरा रह गया। जून 2023 में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होते ही घटनाक्रम सामने आया। 20 से 22 जून, 2023 के बीच रजिस्ट्री के लिए तैयार किए गए दस्तावेजों से पता चला कि फुलिया परिवार को 24 एकड़ जमीन अच्छी-खासी रकम में बेची गई थी। हालांकि बाद में रोक हटाकर जमीन पति-पुत्र की जोड़ी को हस्तांतरित करने की मंशा पर संदेह पैदा हुआ। इस मामले ने तत्कालीन मुख्य सचिव और एफ. सी.आर. टी.वी.एस. एन. प्रसाद ने तुरंत 29 मार्च, 2024 को पंचकूला के उपायुक्त को एक नोटिस जारी कर जमीन की रजिस्ट्री न करने का निर्देश दिया। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्रों के अनुसार पंचकूला जिले में 1400 एकड़ से अधिक अधिशेष भूमि पर विभिन्न व्यक्तियों, जिनमें रिटायर्ड और वर्किंग आई.ए. एस. अधिकारी भी शामिल हैं, इनका विवादित कब्जा है।
ऐसे खेला गया पूरा खेल
पंचकूला बीड़ फिरोजड़ी की जमीन को लेकर अम्बाला डिवीजनल ऑफिस में अपील दायर करने के जून 2023 से ही जमीन की खरीद फरोख्त को लेकर प्रक्रिया शुरू की गई थी। 28 मार्च को रजिस्ट्री के लिए तैयार किए गए डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक 20 जून, 2023 से 22 जून, 2023 के बीच 24-24 लाख रुपए जमीन मालिक को बयाना के तौर पर दिया गया था। अब इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि क्या पूरी प्लानिंग के मुताबिक सरप्लस जमीन पर लगे स्टे को वैकेट करवाने और स्टे हटने के बाद उसे अम्बाला डिवीजनल कमिश्नर के पति व बेटे समेत 4 लोगों द्वारा खरीदी जानी थी। ऐसे में अब अम्बाला डिवीजनल कोर्ट में सरप्लस के मामलों से जुड़े कस पर भी एफ. सी. आर. ऑफिस व सरकार की नजर है। यह रिकॉर्ड राजस्व विभाग के पास है।
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