शिक्षक की सुरक्षा व सम्मान को लौटा हम बजवा सकते हैं विश्व में अपनी शिक्षा का डंका: कुलभूषण शर्मा

Edited By Manisha rana, Updated: 29 Nov, 2021 04:04 PM

safety and honor of the teacher kulbhushan sharma

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व गुरु की उपाधि खो चुके भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ा चुके हैं। नई शिक्षा नीति के निर्माण से उनका...

चंडीगढ़ (धरणी) : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व गुरु की उपाधि खो चुके भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ा चुके हैं। नई शिक्षा नीति के निर्माण से उनका यह सपना पूर्ण हो सकता है। लेकिन अगर देश के ब्यूरोक्रेसी ने इसमें अपने निजी हितों को देखते हुए तोड़ मरोड़ नहीं की तो ही यह संभव हो पाना मुमकिन होगा। यह बात आज पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि देश एक समय में विश्व गुरु हुआ करता था और नई शिक्षा नीति लाने का मुख्य उद्देश्य भी दोबारा से वही मुकाम हासिल करना है। लेकिन आज शिक्षा और शिक्षक के सम्मान में एक बड़ा फर्क आया है।

शिक्षक का सम्मान आज तार-तार हो चुका है। अध्यापक आज शिक्षा देने में सम्मान नहीं डर का अनुभव करता है। आज शिक्षा शिक्षक के हाथ में नहीं बल्कि शिक्षा का पूरी तरह से सरकारी करण हो चुका है। शिक्षा पूरी तरह से सरकार के हाथों में जा चुकी है। जिस कारण से हम लगातार शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हैं। विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त भारत आज अपना यह ओहदा खो चुका है। आज फिर से वही माहौल तैयार करने की जरूरत है जो कभी पहले शिक्षक के प्रति हुआ करता था। शिक्षक की सुरक्षा और सम्मान को वापस लौटाकर ही हम फिर से विश्व में अपनी शिक्षा का डंका बजवा सकते हैं।

शर्मा ने कहा कि लार्ड मैकाले ने जब हाउस ऑफ कॉमन लंदन पार्लियामेंट में इंडियन एजुकेशन के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की थी तो कहा था कि भारत पूर्ण तौर पर शिक्षित है। भारत में सभी महिलाएं और बच्चे शिक्षित थे। वहां कर्नल कुक ने बताया कि टीपू सुल्तान की लड़ाई के वक्त जब मेरी नाक कटी तो हिंदुस्तान में एक गांव के वैद्य ने उसे जोड़ दिया यानि हम विश्व में एक अपना बड़ा स्थान रखते थे। लेकिन उस समय शिक्षा का सरकारीकरण किया गया। जिससे शिक्षा का पतन हो गया। आज फिर से उस अंग्रेजीकरण को सरकारीकरण को प्राचीन पद्धति की तरफ लौटना होगा और इस नई शिक्षा नीति का यही मुख्य उद्देश्य है। लेकिन उसका अनुसरण सही तरीके से होना चाहिए। अगर ब्यूरोक्रेसी ने उसे तोड़ मरोड़ ने की कोशिश की तो इस शिक्षा नीति का परिणाम भी पुरानी शिक्षा नीति की तरह का ही रह जाएगा।

हमारे देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सोच पर प्रदेश के शिक्षकों को पूरा भरोसा है कि वह प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति के अनुसार जो इस शिक्षा नीति में बातें वर्णित की गई हैं उन्हें लागू करने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने देंगे। नई शिक्षा नीति हमारे देश के गौरव और सम्मान को विश्व स्तर पर बढ़ाने का काम करेगी। साथ ही साथ घर-घर में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। लॉर्ड मैकाले की सोच देश के युवाओं को नौकर बनाने की थी। लेकिन नई शिक्षा नीति युवाओं को रोजगार बांटने वाला बनाने की है। निशा के सर्वे में ऑनलाइन एजुकेशन लेने वाले बच्चों में से 98.6 फ़ीसदी बच्चे 1-2 पायदान पीछे खड़े हैं। यह बेहद चिंताजनक बात है और इस पर चिंतन और मंथन की बेहद आवश्यकता है। एक बड़ी डिबेट जो बच्चों का नुकसान हुआ है उस पर होनी चाहिए। लेकिन किसी का भी उस तरफ ध्यान नहीं है। तीसरी लहर की आशंकाओं से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता जो बेहद चिंताजनक बात है और इसके लिए सरकार को बच्चों की शिक्षा को लेकर एक गंभीर विषय मानते हुए अलर्ट रहना चाहिए।

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