अम्बाला एयर फोर्स स्टेशन पर होगी राफेल इंडेक्शन सेरेमनी, फ्रांस के रक्षा मंत्री होंगे मौजूद

Edited By Shivam, Updated: 08 Sep, 2020 08:01 PM

rafael induction ceremony to be held at ambala air force station

राफेल इंडेक्शन सेरेमनी 10 सितंबर को अम्बाला एयर फोर्स स्टेशन पर होगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस परली इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। रक्षा मंत्रालय के द्वारा इस आयोजन के लिए...

अंबाला/चंडीगढ़ (धरणी): राफेल इंडेक्शन सेरेमनी 10 सितंबर को अम्बाला एयर फोर्स स्टेशन पर होगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस परली इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। रक्षा मंत्रालय के द्वारा इस आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।

राफेल के सेकेेंड डिलीवरी लॉट में 4 राफेल अक्तूबर में भारत को और मिलेंगे। 29 जुलाई को 5 रॉफेल जेट भारत को मिले थे, जिनमें से 3 सिंगल सीट व 2 ट्वीन सीटर अम्बाला के एयर बेस में आए थे। भारत और फ्रांस में 36 राफेल जेट का एग्रीमेंट 2016 में हुआ है।



इस पर गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और इतिहास रचा गया है कि फाईटर प्लेन्स का सरताज अम्बाला छावनी के बेड़े में शामिल हुआ है। उन्होंने कहा कि एयरफोर्स को इससे बहुत मजबूती मिलेगी, सभी सैन्य सुविधाओं से सम्पन्न एयरक्राफट है। विज ने कहा कि इसके आने से एक छतरी बन जाएगी। कोई भी दुश्मन देश की सीमाओं में झांकने की सोच भी नहीं सकेगा। अम्बाला देश का एक बहुत महत्वपूर्ण एयरबेस है। जगुआर का सक्वार्डन भी यहीं पर आया था। 1965 और 71 के युद्धों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही और राफेल के आने से ताकत दोगुनी हो गई है। वायुसेना ने इन लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े को खास नाम दिया है। 



इन विमानों के बेड़े को वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन के तौर पर जाना जाता है। राफेल विमान के स्क्वाड्रन का नाम 'गोल्डन एरो' होगा। इन विमानों का निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट ने अभी 10 राफेल विमान दिए हैं। इनमें से पांच फ्रांस में ही हैं, जिन पर भारतीय वायुसेना के पायलट प्रशिक्षण लिया है। सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 के अंत तक का लक्ष्य है।

राफेल विमानों को उड़ाने के लिए भारतीय वायुसेना के पायलटों को खास प्रशिक्षण दिया गया है। साल 2018 में इस विशेष प्रशिक्षण के लिए एक फाइटर पायलट, एक इंजीनियर और चार तकनीकी विशेषज्ञों को पहले ग्रुप में चुना गया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान में भी चल रहा है। इसके लिए अभी पांच राफेल विमानों को फ्रांस में ही रखा गया है। वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। 



वायुसेना ने राफेल विमान के रखरखाव की भी विशेष प्रावधान रखा गया है। इसके लिए वायुसेना ने बुनियादी ढांचा विकसित किया है। अंबाला एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और अन्य सुविधाओं समेत बुनियादी ढांचे को विकसित किया गया है। फ्रांसीसी विशेषज्ञों की देखरेख में इन्हें तैयार किया गया है। यहां एडवांस हैंगर के साथ एक अत्याधुनिक वेपन स्टोरेज बनाया है। जहां राफेल के हथियारों और मिसाइलों को सहेज कर रखा जाएगा। 

राफेल का रडार बाकी विमानों के मुकाबले बेहद मजबूत है और 100 किलोमीटर के दायरे में 40 टारगेट निर्धारित कर सकता है। खतरनाक और आधुनिक मिसाइलों से लैस राफेल 300 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को निशाना बना सकता है। राफेल में लो लैंड जैमर, 10 घंटे तक की डाटा रिकॉर्डिंग और इस्रायली हेलमेट वाली डिस्प्ले की सुविधा भी है। 

राफेल कई खूबियों वाले रडार वॉर्निंग रिसीवर, इन्फ्रारेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम जैसी क्षमताओं से भी लैस है। शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम राफेल के हथियार पैकेज में यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीएस की मिटोर, स्कैल्प क्रूज मिसाइल, मीका हथियार प्रणाली शामिल है। 

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