अनदेखी के चलते दम तोड़ रही पी.एम. आवास योजना

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 15 May, 2018 10:38 AM

pm drops due to ignorance housing scheme

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना अनदेखी के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है। भाजपा सरकार के 3 वर्ष से अधिक शासन काल में केवल एक बार ही पात्र लोगों को इस योजना का लाभ मिल पाया है लेकिन अधिकारियों की अनदेखी...

पिपली(सुकरम): ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना अनदेखी के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है। भाजपा सरकार के 3 वर्ष से अधिक शासन काल में केवल एक बार ही पात्र लोगों को इस योजना का लाभ मिल पाया है लेकिन अधिकारियों की अनदेखी कहें या सरकार का खजाना खाली इस योजना से अनेक पात्र लोग आज भी वंचित रह रहे हैं। धरातल पर देखने में आया है कि सरकार के इस नकारात्मक रवैये को देखकर अब लोगों को कांग्रेस सरकार की याद आने लगी है।

हालांकि सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने पी.एम. आवास योजना की राशि में दोगुना इजाफा करने का काम किया है लेकिन गांवों में रहने वाले गरीब व जरूरतमंद लोग आज भी अनेक लोग इस योजना से कोसों दूर हैं। मामला पिपली खंड के गांव दौलतपुर का है। जहां पर कई बी.पी.एल. परिवारों की दशा आज भी दयनीय बनी हुई है।

खराब मौसम व बरसात में मकानों की खस्ता हालत को देखकर आज भी ये परिवार कांप उठते हैं लेकिन आॢथक स्थिति सही न होने के कारण ये परिवार चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। पीड़ित परिवारों का कहना उनके मकानों की खस्ता हालत का सर्वे अधिकारियों द्वारा कई बार किया जा चुका है लेकिन बावजूद इसके परिणाम हर बार शून्य रहा है। ऐसे में सरकार के बी.पी.एल. परिवारों को छत देने के दावे के सरकारी फाइलों में ही दफन हो रहे हैं। पात्र परिवारों का आरोप है कि जिन मकानों में वे रहते हैं वे कभी भी ढह सकते हैं।

ग्राम सभा में लिखा जाता है हर वर्ष पात्र लोगों का नाम
बताया जाता है कि गांवों में होने वाली ग्राम सभा में गांवों के पात्र लोगों का हर बार नाम लिखा जाता है लेकिन वे भी अधिकारियों की फाइलों में ही सिमट कर रह जाती हैं। सरकार के गठन के 3 वर्ष बाद भी पात्र लोगों को 1 बार लाभ मिल पाया है लेकिन जिन लोगों इस योजना का लाभ मिला है। वे भी पूर्व सरकार में अंतिम वर्ष के शासन काल में दिए गए नाम हैं। पात्र परिवारों का कहना है कि बढ़ती महंगाई में उनको परिवार का खर्च चलाना ही मुश्किल बना हुआ है। ऐसे में मकान बनाने के सपने तो उनसे कोसों दूर हैं।


 

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